मौन निमंत्रण

मौन देता हमको निमंत्रण ,
मौन ही तो  फरियाद करता |
मौन की शक्ति निराली ,
मौन की भक्ति है प्यारी |
मौन अपनाकर के पीड़ा ,
मुख में है  मुस्कान भरता |
मौन की भाषा मधुर है ,
मौन  की मस्ती है  न्यारी |
मौन में अहसास पलता ,
भावना की कद्र करता |
मौन जब मुखर है होता ,
अनसुना संगीत  बजता |
गहन अवसादों  के क्षणों में 
मौन ही होता है संबल |
दर्द जब हद से गुजरता ,
मौन में ही कल - कल है बहता |
मौन में है  संगीत सजता ,
मौन मैं ही है गीत बजता |
मौन का तो सफर अनोखा 
मौन की भाषा , न कोई जाना |
वाणी का न साथ लेकर 
ये नया इतिहास रचता |
कोई न इसको है जाना ,
इससे न कोई जीत सकता |
निशब्द , निर्विकार , निष्काम ,
न जाने किस वाणी से है ये बंधता ?
आह की अनभिज्ञ घड़ी में 
साथ - साथ मौन ही है रिसता |
वेदना के  शिखर पर 
औंधा पड़ा मौन ही है सिसकता |

12 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर मौन को परिभाषित किया है।

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

meri tippani bhi maun hai, aap samajh lijiye

aabhar

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मौन बहे शब्दों के पार।

Dr Varsha Singh ने कहा…

मौन निमंत्रण लाजवाब है....

Unknown ने कहा…

मौन को अभिव्यक्त करने का अत्यंत ही भाव पूर्ण
जीवंत प्रयास...सादर !!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मौन की इतनी मुखर अभिव्यक्ति ... लाजवाब रचना ....
विजय दशमी की हार्दिक बधाई ...

Jyoti Mishra ने कहा…

well written.... a fantastic read..
coincidentally I have written on a different perspective about silence... check it out.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुदंर रचना
बहुत खूब

Satish Saxena ने कहा…

प्रतिकूल समय में मौन ही शुभ है .........
शुभकामनायें !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

maun sab kuchh kah deta hai:)

संतोष पाण्डेय ने कहा…

मौन के अनेक रंग. अर्थपूर्ण रचना.

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर मौन को परिभाषित किया है।