
जिंदगी क्या है जरा बाहर तो आकर देखो |
बंद किताबों के पन्नों को पलटकर क्या होगा |
हकीकत जिंदगी की , शब्दों में उतरकर देखो |
देखकर के चमन को दूर ही से परखना कैसा |
खुशबुएं हसीन नजाकत को छू - छूकर देखो |
महफ़िलों में क्यु छलक जाते है गम के आंसूं |
इसका सबब तो दीवानों की दीवानगी से पूछो |
रात भर जली शमां सुबह क्यु दम तोड़ दिया |
ये अंजामें सफर रात भर जलते परवानो से पूछो |
कीचड़ में रहकर खुदको महफूज रखना हो कैसे |
ये राजे हकीकत कीचड़ में खिले कमल से पूछो |
गम तो है जिंदगी में फिर भी ये इतनी हसीं क्यु है |
अंदाजे जिंदगी से ही इस बात का तुम पता पूछो |
गम तो है जिंदगी में फिर भी ये इतनी हसीं क्यु है |
अंदाजे जिंदगी से ही इस बात का तुम पता पूछो |
14 टिप्पणियां:
तपती रेत में चलो बारिश में नहा कर देखो |
जिंदगी क्या है खुले आसमां में आकार देखो |
बंद किताबों के पन्नों को पलटना कैसा |
हकीकत क्या है शब्दों में उतरकर देखो |
वाह ...बहुत खूब ।
तपती रेत में चलो बारिश में नहा कर देखो |
जिंदगी क्या है खुले आसमां में आकार देखो |
वाह बहुत खूब । पूरी कविता अच्छी लगी। बधाई।
तपती रेत में चलो बारिश में नहा कर देखो |
जिंदगी क्या है खुले आसमां में आकार देखो |
waah pehli do line ne nishabd kar diya kuch bhi kehne ko nahi hai .
Badhai aur shubhkamnayen..
क्या कहने,
बहुत सुंदर
एक खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.....
वाह, बहुत दमदार।
रात भर जली शमां सुबह क्यु दम तोड़ दिया |
ये अंजामें सफर रात भर जलते परवानो से पूछो |
वाह, बहुत खूब।
कीचड़ में रहकर खुदको महफूज रखना हो कैसे |
ये राजे हकीकत कीचड़ में खिले कमल से पूछो |
सही कहा आपने.....
सुन्दर प्रस्तुति...!!
sundar andaaz
बहुत अच्छी रचना है आपकी , हमारे ब्लॉग पर भी दर्शन दे श्रीमान
हमारी कुटिया पर तो कोई आता ही नहीं है, आईये ना ............
andaaze jindgi bhuat khubsurat laga.... behtreen rachna...
vah bahut khoob ..... apki lekhni yun hi salamat rhe ... ...............बंद किताबों के पन्नों को पलटना कैसा |
हकीकत क्या है शब्दों में उतरकर देखो |
गम तो है जिंदगी में फिर भी ये इतनी हसीं क्यु है |
अंदाजे जिंदगी से ही इस बात का तुम पता पूछो |
jabardast soch. umda gazal.
एकदम बेहतरीन रचना ..
एक - एक पंक्ति दिल में उतर गयी ..
तारीफ में शब्द नहीं...
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