छोटी सी इल्तजा

 

बस छोटी सी एक 
इल्तजा है तुमसे ...
कुछ देर पंछी बन...
उड़ने की मोहलत मुझे दे दो |
कभी चाँद में छुप जाऊ |
कभी बादल में समा जाऊ |
बस छोटी सी ये ख्वाइश
पूरी मेरी कर दो |
जो मैं रच दूँ कोई सरगम
तो बेहिचक गीत रचने का 
होंसला मुझे दे दो |
तपती रेत में जब 
जलने लगे पैर मेरे ...
तो निरंतर बढते रहने की 
ताकत मुझे दे दो |
हाँ हूँ मैं सागर सीमाओं को
अपनी खूब पहचानती हूँ |
तुम बस करके भरोसा
कुछ पल पंख पसारने का
वादा  मुझे दे दो |

23 टिप्‍पणियां:

Brijendra Singh ने कहा…

Sunder Bhavmayee Iltija likhi aapne..

रविकर ने कहा…

छोटी सी यह इल्तिजा, हो जाएँ माँ पूर ।

पंख मिलें हर पट खुले, उड़ कर आऊं दूर ।।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर..........

आजादी के दो पल भी काफी हैं.......

सादर.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

काश अवसर और शक्ति मिलती रहे।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहतरीन

सादर

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

bahut hi sundar||||
bahut lajavab abhivykti hai...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्ति ॥

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत भावपूर्ण |
आशा

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह जी सुंदर

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

udaya veer singh ने कहा…

क्या बात है जी ! अभिव्यक्ति की अप्रतिम प्रस्तुती शुभकामनये जी /

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

sundar bhaavpoorn abhivyakti

Dr Varsha Singh ने कहा…

very nice.....

virendra sharma ने कहा…

हाँ हूँ मैं सागर सीमाओं को
अपनी खूब पहचानती हूँ |
तुम बस करके भरोसा
कुछ पल पंख पसारने का
वादा मुझे दे दो |
सागर की तरह घटा बढ़ा सकतीं हूँ मैं अपना आकार ,जल राशि ,मुझे गुरुत्व की ताल पे नर्तन करते जाना है ,आगे और आगे ....

mridula pradhan ने कहा…

badi pyari hai aapki iltaza.....zaroor poori ho ......

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत ही अनुपम भावों का संगम ।

कविता रावत ने कहा…

जो मैं रच दूँ कोई सरगम
तो बेहिचक गीत रचने का
होंसला मुझे दे दो |
..bahut sundar manobhav...

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

तपती रेत में जब
जलने लगे पैर मेरे ...
तो निरंतर बढते रहने की
ताकत मुझे दे दो द्य

मन की शक्ति के प्रति आश्वस्त कराती सुंदर रचना।

कुमार राधारमण ने कहा…

कुछ कमी अपने भीतर ही लग रही है क्योंकि हर चीज़ के लिए सहायता मांगी जा रही है!

Ramakant Singh ने कहा…

हाँ हूँ मैं सागर सीमाओं को
अपनी खूब पहचानती हूँ |
तुम बस करके भरोसा
कुछ पल पंख पसारने का
वादा मुझे दे दो |
adbhut NIRALA adbhut.
aapane thorha sa kahan manga bas
aasaman udane ko mang liya .
ishwar aapako sachamuch aasman den.

amrendra "amar" ने कहा…

...बहुत सुन्दर और भावमयी प्रस्तुति...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर
क्या कहने