एक अधूरी आस



हर बार कौडियों के भाव बिकता है 
उसका अनाज |
दिन - रात के सुंदर सपने पल भर में 
धाराशाही हो जाते हैं |
उसके कपडे से उठती वो मिटटी की गंध
कही जाकर खो जाती है |
वो जीवित होकर भी एक जिन्दा लाश
बन जाते हैं |
अपनी मेहनत का सही दाम न मिलाना ...
उनके बुलंद मंसूबों में पानी फेर देते हैं |
वो अपने ही हाथों अपनों का गला घोंटने पर
मजबूर हो जाते हैं |
सब कुछ देने का झूठा आश्वासन देकर
कुछ न मिलना |
पंछी के पर काटकर जीने को छोड़ देना
जैसा ही तो है ,
परिणाम वही जो अक्सर होता है |

आत्महत्या ...
यहाँ आत्महत्या को हत्या का रूप कहा जाये
तो क्या गलत होगा ?
हाँ इसका निवारण है पर ये आवाज अगर
उन कानों तक पहुंचे ...
जिनका कहना है कि हम तक बात पहुँचती ही नहीं
बेचारे ... कितने बेबस है वो लोग ( सरकार )

उनकी बेबसी उन्हें कुछ करने ही नहीं देती |
वर्ना शायद ये दशा किसानों कि कभी न होती |

14 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

किसान के दर्द को बखूबी लिखा है ... अच्छी प्रस्तुति

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

हाँ इसका निवारण है पर ये आवाज अगर
उन कानों तक पहुंचे ...
जिनका कहना है कि हम तक बात नहीं पहुँचती
बेचारे कितने बेबस है वो लोग
वर्ना शायद ये दशा किसानों कि कभी न होती |

किसानो का दर्द क्या होता है,इसे आज तक लोग नही समझ पाए,आज किसानो के पास बीज नही पानी नही बिजली नही खाद नही,,,,,फिर भी नेताओं की भाषा में,किसान देश का अन्नदाता है,.....

MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

इस बेबसी का कोई सरकारी उपाय...दिखता तो नहीं है।

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

vidambna hai!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

हकीकत से रूबरू कराती
बहुत सुंदर रचना

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

किसानो की स्थिति के लिए सार्थक शब्दों के साथ वर्णन ..

विभूति" ने कहा…

संवेदनशील रचना अभिवयक्ति....

Satish Saxena ने कहा…

अनूठी रचना ....
शुभकामनायें आपको !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

किसानों के दर्द कों जुबान देने की कोशिश सफल हो ... जय जवान जय किसान के देश में आज हालात कैसे बत्तर हो चुके हैं ...

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

उगाता कोई और कमाता कोई
खाता किसी का है खाता कोई.
ये आवाज पहुँचे सही कान तक
सुनता कोई और सुनाता कोई.


नि:संदेह सशक्त रचना.

मनोज कुमार ने कहा…

एक भारतीय की व्यथा को आपने बहुत सार्थकता से काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है।

Ramakant Singh ने कहा…

हाँ इसका निवारण है पर ये आवाज अगर
उन कानों तक पहुंचे ...
जिनका कहना है कि हम तक बात नहीं पहुँचती
बेचारे कितने बेबस है वो लोग
वर्ना शायद ये दशा किसानों कि कभी न होती |
beautifuly expressed the pain and
truth of farmers life and their
problem.thanks.nice post with honesty.

मुकेश पाण्डेय चन्दन ने कहा…

aaj desh ka anndata khud ann ke liye taras rha hai .
haqikat ko bayan karti badhiya kavita . aabhar !

Minakshi Pant ने कहा…

सभी सम्मानित मित्रों का तहे दिल से शुक्रिया |