बस एक ख्याल



तेरी रहमतों पर इतना यकीन करते हैं ,
देके ले -लेने की अदा को भी कर्म कहतें हैं |

तेरी मर्ज़ी के आगे  न कोई सवाल करते हैं ,
कसम से तुम्हें हम बेशुमार प्यार करते हैं |

ठहर जाएँ कहीं अभी अगर अनजान राह में ,
बे- खौफ हम सिर्फ तुझको पुकारा करते हैं |

तेरी दीवानगी बसी है इस कदर मेरी सांसों में ,
दुवाओं में खुदा से सिर्फ तेरी फरियाद करते हैं |

अब जो भी हो अंजाम देख लेंगें सनम मेरे ,
वफा की राह में चल सफ़र को अंजाम देते हैं |

9 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर
क्या बात

amit rohela ने कहा…

तेरे लिखनें पें ना हम सवाल करते है....कसम है उस ख़ुदा की....
कि इस कलम से हम बेपनाह प्यार करतें है!

विभूति" ने कहा…

भावो का सुन्दर समायोजन......

Ranjana verma ने कहा…

बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !!

राजीव कुमार झा ने कहा…

सुंदर रचना.

Saras ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Saras ने कहा…

खूबसूरत.....!!!!!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुदर

Mohan Srivastav poet ने कहा…

BAHUT SUNDAR PRASTUTI....