तेरी रहमतों पर इतना यकीन करते हैं ,
देके ले -लेने की अदा को भी कर्म कहतें हैं |
तेरी मर्ज़ी के आगे न कोई सवाल करते हैं ,
कसम से तुम्हें हम बेशुमार प्यार करते हैं |
ठहर जाएँ कहीं अभी अगर अनजान राह में ,
बे- खौफ हम सिर्फ तुझको पुकारा करते हैं |
तेरी दीवानगी बसी है इस कदर मेरी सांसों में ,
दुवाओं में खुदा से सिर्फ तेरी फरियाद करते हैं |
अब जो भी हो अंजाम देख लेंगें सनम मेरे ,
वफा की राह में चल सफ़र को अंजाम देते हैं |
9 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर
क्या बात
तेरे लिखनें पें ना हम सवाल करते है....कसम है उस ख़ुदा की....
कि इस कलम से हम बेपनाह प्यार करतें है!
भावो का सुन्दर समायोजन......
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !!
सुंदर रचना.
खूबसूरत.....!!!!!
सुदर
BAHUT SUNDAR PRASTUTI....
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