नज़र जो उनसे हमारी मिल गई !
ना जाने क्या वो क़यामत कर गई !
फिर संभल के भी न संभल पाए हम !
नज़रे ही कुच्छ जो एसा जादू कर गई !
नज़रे मिली और कायनात पलट गई !
नज़र न जाने नज़र से क्या कह गई !
नजर ही नज़रो से हमारा पता कह गई ! नज़र ही उनका काम आसां कर गई ! और हमको उनका गुलाम कर गई !
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