आरज़ू


करवटे  लेते  गये हालत मेरे जेसे जेसे
दोस्त भी मेरे बदलते चले गए वेसे वेसे
कोंन रोता है किसी और की खातिर ये दोस्त
सबको अपनी ही किसी बात पर रोना आया
कहते है म़ोत जिंदगी की दुश्मन है
जिंदगी भी कभी जान लेके जाती है
ठोकर किसी पत्थर से अगर  खाया है मैने
मंजिल का पता भी उसी पत्थर से मिला है
अब क्या जवाब  दू मै कोई ये तो बताओ
वो मुझसे पूछते हैं की बोल तेरी आरज़ू  क्या है ?

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