जिंदगी




हथेलियों मै पानी सी कभी ठहरती ही नहीं , 
मुठ्ठी मै रेत बन के फिसल जाती है ! 
पकड़ना तो कई बार चाहा है मैने उसे , 
बंद आँखों के खुलते ही खो जाती है ! 
मस्त पवन सी  झूमती सी आती है , 
आंधी की तरह सब कुच्छ उड़ा ले जाती है !  
कडकती धूप मै जब पांव मेरे जलते हैं , 
झट से  बदलों की छाँव वो  बन जाती है !   
ख़ुशी मिले मुझे तो वो दूर मुझसे होती है  
गम के आते ही वो मरहम का काम करती है ! 
हर राह मै वो  साथ मेरे चलती है , 
सुख - दुःख का लेखा - जोखा रखती है ! 
मेरे दुःख मै बिन बादल ये बरसती है , 
ख़ुशी मिले तो ये  धूप बनके खिलती है !
 जब एक हसीन ख्वाब मै बुनती हु , 
तुझको तो मै साथ लेके   चलती हु ! 
हर ख्वाब सच भी तो नहीं होता ...........
उस वक्त बढकर तेरा हाथ थाम लेती हु !
तेरी हिम्मत से नया ख्वाब में बुनती  हु !
फिर बेखोफ आगे का सफ़र तय  करती  हु !

7 टिप्‍पणियां:

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

जब एक हसीन ख्वाब मै बुनती हु ,
तुझको तो मै साथ लेके चलती हु !
हर ख्वाब सच भी तो नहीं होता ...........
उस वक्त बढकर तेरा हाथ थाम लेती हु !

aise hi himmat banaye rakhen...:)
bahut khub....!!

babanpandey ने कहा…

सुन्दर विचार ...सुन्दर भावना

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

दिल को छू लेने वाली बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ.

सादर

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

दिल को छू लेने वाली बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ.

केवल राम ने कहा…

हर राह मै वो साथ मेरे चलती है ,
सुख - दुःख का लेखा - जोखा रखती है !
मेरे दुःख मै बिन बादल ये बरसती है ,
ख़ुशी मिले तो ये धूप बनके खिलती है !
मीनाक्षी जी
सादर प्रणाम
आपकी कविता की पंक्तियाँ बहुत भाव पूर्ण हैं ..जीवन से जुडी हुई ..शुक्रिया

केवल राम ने कहा…

पूरी कविता निश्चित रूप से एक अर्थपूर्ण सन्देश का सम्प्रेषण करती है ...शुक्रिया

Minakshi Pant ने कहा…

आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया दोस्तों ये सब आप सबका साथ ही है जो मै कुच्छ लिखने कि कोशिश कर रही हु !