प्रकृति का नज़ारा



सूरज ने बादलों कि ओट से जो झाँका है !
                         सारी प्रकृति  पर नशा ही तो छाया  है  !
फूल और पत्तियों मै भी उत्साह  जागा है !
                           जेसे कुच्छ कर गुजरने का ये नज़ारा  है !
 फसल भी लहलहा के अंगड़ाईयां ले रही हैं !
                            जेसे पल भर मै कुच्छ गाने जा  रही है !          
मंद पवन भी अठखेलियाँ  लगाती  हैं !
                           जेसे मोसम के बदलाव का जश्न मनाती है !
पंछी भी मस्त गगन मै मदहोश  उड़ते हैं !
                            जेसे अपनी ख़ुशी का वो  इजहार करतें हैं !
गिलहरी नाच - नाच के ये जताती है !
                             जेसे  वो बार - बार  हमे मुहं  चिढाती है !
सर्दी के मोसम का ही तो ये नज़ारा है !
                         वर्ना गर्मी मै धूप को किसने.......... पुकारा है !

4 टिप्‍पणियां:

एस एम् मासूम ने कहा…

फसल भी लहलहा के अंगड़ाईयां ले रही हैं !
जेसे पल भर मै कुच्छ गाने जा रही है !
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वाह क्या बात है

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर रचना.... प्रकृति के हर रंग का जीवंत चित्रण.....

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

सुंदर रचना.... प्रकृति के हर रंग का जीवंत चित्रण.....

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

prakriti ka manohari chitran..:)

par vasant ko aane to do dost..:D