प्यारा सा संवाद



हर दम तो साथ  रहता है |
 माँ से ही वो कुछ  कहता है |
माँ भी तो सब समझ जाती है |
इशारों में  सब कुछ  बताती है |



अब थोडा और बड़ा वो होता है |
घुटनों के बल फिर  डोलता है |
माँ का दम तब निकल जाता है ,
जब वो थोडा सा भी रोता है |






अब स्कूल की तरफ वो बढ़ता  है |
माँ के पल्लू  से  फिर लिपटता है |
लगता है जेसे माँ से बिछड़ने का ...
हरदम उसे खौफ  सा  रहता है |





जब जवानी में  पांव वो रखता है |
यारों दोस्तों से मिलने लगता  है |
तब माँ के उस एहसास को...
थोडा - थोडा  वो खोने  लगता है |





 माँ का आशीर्वाद फिर से  पाता है |
घर में  प्यारी सी दुल्हन लाता है |
उसके साथ सुन्दर सपने देख ...
फिर नया संसार एक बसाता  है |

7 टिप्‍पणियां:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

bahut badiya प्यारा सा संवाद"

Rahul Singh ने कहा…

जीवन-चक्र का इन्‍द्रधनुषी चाप.

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर शब्दों में माँ का प्यार दर्शाती पोस्ट| धन्यवाद|

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

माँ के प्यार के बिना सब अधूरा है !
छोटे से संवाद में पूरा जीवन समेट लिया है

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

ma to ma hoti hai
pyara laghu lekh

Creative Manch ने कहा…

हम सभी अपनी माँ का ही अंश होते हैं
उससे नाता जीवन पर्यंत रहता है

बहुत सुन्दर रचना
अच्छा लगा पढना
आपकी बधाई
आभार

Rajeeva Khandelwal ने कहा…

प्रिय मीनाक्षी जी ..
जय राम जी की
माँ के लिए एक सच्ची अभिव्यक्ति शब्दों में पिरोई है आपने..
"स्वतन्त्र विचार" पर मेरी पोस्ट " लाचार-सरकार, लाचार-मंत्री और लाचार जनता, क्या यही स्वर्णिम भारत है?" आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद्,, आपके इस मार्गदर्शन से मेरा आत्मविश्वास और संबल बढेगा..
हमारा आपका साथ ऐसे ही बना रहे ...

(राजीव खंडेलवाल)