हर दम तो साथ रहता है |
माँ से ही वो कुछ कहता है |
माँ भी तो सब समझ जाती है |
इशारों में सब कुछ बताती है |
अब थोडा और बड़ा वो होता है |
घुटनों के बल फिर डोलता है |
माँ का दम तब निकल जाता है ,
जब वो थोडा सा भी रोता है |
अब स्कूल की तरफ वो बढ़ता है |
माँ के पल्लू से फिर लिपटता है |
लगता है जेसे माँ से बिछड़ने का ...
हरदम उसे खौफ सा रहता है |
जब जवानी में पांव वो रखता है |
यारों दोस्तों से मिलने लगता है |
तब माँ के उस एहसास को...
थोडा - थोडा वो खोने लगता है |
माँ का आशीर्वाद फिर से पाता है |
घर में प्यारी सी दुल्हन लाता है |
उसके साथ सुन्दर सपने देख ...
फिर नया संसार एक बसाता है |
7 टिप्पणियां:
bahut badiya प्यारा सा संवाद"
जीवन-चक्र का इन्द्रधनुषी चाप.
बहुत सुन्दर शब्दों में माँ का प्यार दर्शाती पोस्ट| धन्यवाद|
माँ के प्यार के बिना सब अधूरा है !
छोटे से संवाद में पूरा जीवन समेट लिया है
ma to ma hoti hai
pyara laghu lekh
हम सभी अपनी माँ का ही अंश होते हैं
उससे नाता जीवन पर्यंत रहता है
बहुत सुन्दर रचना
अच्छा लगा पढना
आपकी बधाई
आभार
प्रिय मीनाक्षी जी ..
जय राम जी की
माँ के लिए एक सच्ची अभिव्यक्ति शब्दों में पिरोई है आपने..
"स्वतन्त्र विचार" पर मेरी पोस्ट " लाचार-सरकार, लाचार-मंत्री और लाचार जनता, क्या यही स्वर्णिम भारत है?" आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद्,, आपके इस मार्गदर्शन से मेरा आत्मविश्वास और संबल बढेगा..
हमारा आपका साथ ऐसे ही बना रहे ...
(राजीव खंडेलवाल)
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