अपनी आहों में पहले जैसा असर पैदा कर |
वही जोश, वही हिम्मत, वही ज़ज्बात पैदा कर |
हर किसी के दिल में वो बेमिसाल हिम्मत पैदा कर |
आदमी - आदमी का दुश्मन हरगिज न बनें |
इन्सान के अन्दर कुछ एसा जज़्बा पैदा कर |
मंजिले दूर हैं ! सफ़र तय करने की हिम्मत पैदा कर |
खुद ब खुद सर झुकाए इन्सान ...
अपने आप में एसा हुनर तू पैदा कर |
कोई न पूछेगा इस भरी दुनिया में ...
कुछ पाना है तो ... खुद के अन्दर वो जूनून भी पैदा कर |
मौत भी याद रखे ... तुझे हर हाल में ,
इसलिए अपने दिल में खुदा का डर भी पैदा कर |
आहों में पहले जैसा असर तू पैदा कर |
आहों में पहले जैसा असर तू पैदा कर |
5 टिप्पणियां:
दर्द होगा तो आहों में असर भी होगा।
SUNDAR ABHIVYAKTI
बहुत सुंदर आव्हान लिए रचना....
Kash yeh likha sach ho jaye !
आदरणीय मीनाक्षी पन्त जी सादर अभिवादन |सुंदर पोस्ट के लिए बधाई होली की शुभकामनाएं |
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