हिम्मत मुहँ से कह देने भर में नहीं ,
उसे कर दिखाने में है |
हिम्मत किसी को राह दिखाने में नहीं ,
उसे मंजिल तक पहुँचानें में है |
हिम्मत कतरा - कतरा रोने में नहीं ,
उसे अंजाम तक लेकर जाने में है |
हिम्मत किसी को देखकर हंसने में नहीं ,
उसे बढकर सँभालने में है |
हिम्मत किसी को दर्द देने में नहीं ,
उसमें मरहम लगाने में है |
उसमें मरहम लगाने में है |
हिम्मत खोखली बातों में नहीं ,
उसे उस लक्ष्य तक पहुँचाने में है |
हिम्मत अत्याचार सहने में नहीं ,
उसके विरुद्ध आवाज उठाने में है |
हिम्मत देश के मुद्दों पर बहस में नहीं ,
आगे बढकर उसे बदल डालने में है |
हिम्मत दूसरों की गलती दिखाने में नहीं ,
उसमें सुधार करने में है |
हिम्मत मुसीबत से दूर भागने में नहीं ,
डट कर उसका सामना करने में है |
हिम्मत सिर्फ हिम्मत है , कहने भर से ही नहीं ,
हिम्मत से मसले को सुलझाने में है |
5 टिप्पणियां:
सच है
देश के मुद्दों पर बहस में नहीं , आगे बढकर उसे बदल डालने में है
vastav me himmat yahi hai.
हिम्मत उन चीजों में अधिक चाहिये जिनमें सार्थकता हो। सुन्दर कविता।
सच है !
सुन्दर कविता !
himmat-e-mardan
madad-e-khuda...:)
aisa hi kuchh suna tha...
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