ऐ पथिक !
थोडा ठहर , साथ मैं भी चल सकूँ |
राह में आगे निकल
मंजिल कि तलाश तक |
लहरों से डरकर जो तुम
कश्ती दरिया में न उतारोगे |
अपने गंतव्य कि दौड़ में
बहुत पीछे तुम रह जाओगे |
लोभ , लालच कि गर्द में
डूबा हुआ ये विश्व है |
हिसा - अहिंसा का राह में
फैला हुआ समुद्र है |
फूलों की ख्वाइश जो की तो
काँटों पर भी चलना होगा |
मोती जो तुमको चाहिए
गहरे सागर भी उतरना होगा |
सारी विपदाओं को जीत कर
आगे तुम जो बड़ते जाओगे |
थाम लेना हाथ मेरा थककर
राह में जो तुम रुक जाओगे |
करना प्रतीक्षा सुदूर भविष्य
कि गंतव्य तक |
चलना निरंतर ... धैर्य रख
मंजिल पाने कि चाह तक |
17 टिप्पणियां:
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति
दुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
बहुत बढ़िया लिखा आपने.
सादर
बहुत सुंदर ! शब्दों की माला ....
फूलों की ख्वाइश जो की तो
काँटों पर भी चलना होगा |
मोती जो तुमको चाहिए
गहरे सागर भी उतरना होगा |
प्रेरणादायी पंक्तियाँ .....अगर जीवन में कुछ पाना है तो गहरे तो उतरना ही पड़ेगा .....
कि को की कर लें ...आपका शुक्रिया
bhut bhaavpur abhivaykti... super...
लहरों से डरकर जो तुम कश्ती दरिया में न उतारोगे | अपने गंतव्य कि दौड़ में बहुत पीछे तुम रह जाओगे |
.........बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
बस आगे चलते रहना है।
मेरे सभी दोस्तों की मैं बहुत आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे अपना किमती समय दिया |
शुक्रिया दोस्तों |
बहुत सुन्दर रचना.
प्रेरक.
प्रेरणादायी पंक्तियाँ !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!!
bahut sunder
aapne theek kaha
niranter chalne se manzil mil jati hein
bahut hi acchi lagi aapki ye rachna
aapka aabhar
वाह उम्दा अभिव्यक्ति ....
कभी हमारे ब्लॉग पर आयें
आपका सहयोग चाहिए , नया जो हूँ
avinash001.blogspot.com
इंतजार रहेगा
मिनाक्षी जी !
"चलना निरंतर ... धैर्य रख मंजिल..."
सही फरमाया आपने....जीवन बस एक सफ़र है....जहाँ कोई मंजिल ....आख़री मंजिल नहीं,और सिर्फ सतत चलते जाना है |
मंजिल की तलाश.....प्रेरणादायी पंक्तियाँ .
मंजिल जरूर मिलेगी.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति|धन्यवाद|
सुन्दर कविता !
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