प्रकृति से सीखो

सर्द मौसम मैं सूरज की तपन 
जैसा हो आदमी 
बंजर धरती में पानी की  बूंद 
जैसा हो आदमी 
भवरों के लिए फूलों ... 
जैसा  हो आदमी 
समुद्र में  शांत लहरों ...
जैसा हो आदमी 
सारी सृष्टि की तरह निस्वार्थ भाव से 
जीता जो  आदमी 
फिर क्यु न सबसे न्यारा - प्यारा  
होता आज  आदमी 
हवा की ठंडी - ठंडी बहती 
धारा सा हो आदमी 
पेड़ों की तरह ठंडी छाँव 
देता जो  आदमी 
चारों तरफ चाँद की सी शीतलता  
लुटाता जो आदमी 
सारे एहसासों को  खुलकर
अगर जीता  आदमी 
अपनी भी कहता ओरों की भी 
जो सुनता आदमी 
तो सारे जहाँ में आज सबसे ऊँचा 
होता आदमी |

8 टिप्‍पणियां:

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

सच में यदि ये सब मानता तो आज सबसे ऊंचा होता आदमी

Shikha Kaushik ने कहा…

Minakshi ji bahut sundar bhavon se bhari hai aapki rachna .badhai

Udan Tashtari ने कहा…

काश!! इसका आधा भी होता तो भी बात बन जाती...

Rahul Singh ने कहा…

प्रकृति का अनपढ़ा पाठ.

virendra sharma ने कहा…

kaliyon se mukaanaa seekho !
foolon se khilkhilaanaa ,
chidiyon se chahchahaanaa seekho ,
sach much aapne bachapn yaad dilaa diyaa !
veerubhai .

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

प्रकृति का अनपढ़ा पाठ.
Minakshi ji bahut sundar rachna

रश्मि प्रभा... ने कहा…

kaash ! aisa hota

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आदमी ये सब कुछ होता अगर आदमी रहता ...