रहमत का असर

जबसे तेरी रहमत के इशारे हमपे हो गए |
हम तो दुनियादारी से ही  न्यारे हो गए | 

मंदिर - मस्जिद के झगड़ों की बात छोड़ो |
हम तो खुद के झगड़ों से ही पराये हो गये |

रंजों गम है दूर अब कोई शिकवा गिला नहीं |
एक ही पुकार में अब हम  तुम्हारे हो गए |

मिलके जो साथ चले तो हालत ऐसे हो गए |
न रहा कोई दुश्मन सब अपने प्यारे हो गए |

खुद के भीतर जो झाँका तो खुद को ऐसा पाया |
अब तो दोस्त भी मेरे , मेरी मशाल हो गए |


15 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जबसे तेरी रहमत के इशारे हमपे हो गए |
हम तो दुनियादारी से ही न्यारे हो गए |

उसकी कृपा बनी रहे बस...... सुंदर पंक्तियाँ .....

Jyoti Mishra ने कहा…

खुद के भीतर जो झाँका तो खुद को ऐसा पाया |
अब तो दोस्त भी मेरे , मेरी मशाल हो गए |

I loved this line :)

रश्मि प्रभा... ने कहा…

रंजों गम है दूर अब कोई शिकवा गिला नहीं |
एक ही पुकार में अब हम तुम्हारे हो गए |
bahut hi badhiyaa

संध्या शर्मा ने कहा…

जबसे तेरी रहमत के इशारे हमपे हो गए |
हम तो दुनियादारी से ही न्यारे हो गए |

बहुत सुन्दर प्रस्तुति........

prerna argal ने कहा…

खुद के भीतर जो झाँका तो खुद को ऐसा पाया |
अब तो दोस्त भी मेरे , मेरी मशाल हो गए |
bahut achchi line.bahut bhavpoorn rachanaa.badhaai aapko.



please visit my blog and leave the comments also.

मदन शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति....

मदन शर्मा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति....

संजय भास्‍कर ने कहा…

जबसे तेरी रहमत के इशारे हमपे हो गए | हम तो दुनियादारी से ही न्यारे हो गए |
...सुंदर पंक्तियाँ

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ monika ji ne sahi kaha uski kripa bani rahe bas

बेनामी ने कहा…

waaaaaaaaah Pant G

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ी ही सुन्दर पंक्तियाँ।

Dr Varsha Singh ने कहा…

मंदिर - मस्जिद के झगड़ों की बात छोड़ो |
हम तो खुद के झगड़ों से ही पराये हो गये |

मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....

अविनाश मिश्र ने कहा…

Bahut sundar

विभूति" ने कहा…

bhut hi sarthak aur marmik rachna hai...

Hadi Javed ने कहा…

खुद के भीतर जो झाँका तो खुद को ऐसा पाया |
अब तो दोस्त भी मेरे , मेरी मशाल हो गए
बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल
खुबसूरत अहसास को काग़ज़ के कैनवास पर खुबसूरत अल्फाज़ की माला पिरोकर गुंथा है आपने उसके लिए आपको बहुत बधाई वाह और सिर्फ वाह
मंदिर - मस्जिद के झगड़ों की बात छोड़ो |
हम तो खुद के झगड़ों से ही पराये हो गये |
सुन्दर अभिव्यक्ति आज भारत के लोगों को इस बात का अहसास कर ही लेना चाहिए की इन बातों से हम को कितना नुक्सान पहुँच रहा है.