
जबसे तेरी रहमत के इशारे हमपे हो गए |
हम तो दुनियादारी से ही न्यारे हो गए |
मंदिर - मस्जिद के झगड़ों की बात छोड़ो |
हम तो खुद के झगड़ों से ही पराये हो गये |
रंजों गम है दूर अब कोई शिकवा गिला नहीं |
एक ही पुकार में अब हम तुम्हारे हो गए |
मिलके जो साथ चले तो हालत ऐसे हो गए |
न रहा कोई दुश्मन सब अपने प्यारे हो गए |
खुद के भीतर जो झाँका तो खुद को ऐसा पाया |
अब तो दोस्त भी मेरे , मेरी मशाल हो गए |
15 टिप्पणियां:
जबसे तेरी रहमत के इशारे हमपे हो गए |
हम तो दुनियादारी से ही न्यारे हो गए |
उसकी कृपा बनी रहे बस...... सुंदर पंक्तियाँ .....
खुद के भीतर जो झाँका तो खुद को ऐसा पाया |
अब तो दोस्त भी मेरे , मेरी मशाल हो गए |
I loved this line :)
रंजों गम है दूर अब कोई शिकवा गिला नहीं |
एक ही पुकार में अब हम तुम्हारे हो गए |
bahut hi badhiyaa
जबसे तेरी रहमत के इशारे हमपे हो गए |
हम तो दुनियादारी से ही न्यारे हो गए |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति........
खुद के भीतर जो झाँका तो खुद को ऐसा पाया |
अब तो दोस्त भी मेरे , मेरी मशाल हो गए |
bahut achchi line.bahut bhavpoorn rachanaa.badhaai aapko.
please visit my blog and leave the comments also.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति....
जबसे तेरी रहमत के इशारे हमपे हो गए | हम तो दुनियादारी से ही न्यारे हो गए |
...सुंदर पंक्तियाँ
@ monika ji ne sahi kaha uski kripa bani rahe bas
waaaaaaaaah Pant G
बड़ी ही सुन्दर पंक्तियाँ।
मंदिर - मस्जिद के झगड़ों की बात छोड़ो |
हम तो खुद के झगड़ों से ही पराये हो गये |
मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....
Bahut sundar
bhut hi sarthak aur marmik rachna hai...
खुद के भीतर जो झाँका तो खुद को ऐसा पाया |
अब तो दोस्त भी मेरे , मेरी मशाल हो गए
बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल
खुबसूरत अहसास को काग़ज़ के कैनवास पर खुबसूरत अल्फाज़ की माला पिरोकर गुंथा है आपने उसके लिए आपको बहुत बधाई वाह और सिर्फ वाह
मंदिर - मस्जिद के झगड़ों की बात छोड़ो |
हम तो खुद के झगड़ों से ही पराये हो गये |
सुन्दर अभिव्यक्ति आज भारत के लोगों को इस बात का अहसास कर ही लेना चाहिए की इन बातों से हम को कितना नुक्सान पहुँच रहा है.
एक टिप्पणी भेजें