बंसी की धुन तुम यूँ न बजाया करो |
हमें पल -पल तुम यूँ न सताया करो |
देखो पनघट पे आते है ग्वाले बड़े ,
तुम ऐसे हमें न बुलाया करो |
बृज की ग्वालन मुझे जो देख लेंगी यहाँ |
मुझसे रूठ कर वो दूर चली जाएँगी न ?
तुम तो अपनी अदाओं से मना लोगे उन्हें ,
मैं तो हरपल मनाती रह जाउंगी न ?
तुम हो नटखट से सबका बस दिल चुराते हो |
कौन क्या कहेगा इसकी खबर कहाँ लेते हो |
अपनी धुन में हर दम मग्न रहते हो |
कोई कुछ भी कहे तुम कहाँ सुनते हो |
सारी दुनिया को बस अपना ही कहते हो |
मैं बाट जोहते - जोहते थक जाती हूँ |
तुम न जाने किस गली में बंसी बजाते हो |
खुद से पहले नाम तो तुमने मुझको दिया |
क्या तुम भी मुझे उतना ही चाहते हो ?
चलो जाने दो अब ये शिकवे - गिले |
छेडो बंसी की एसी धुन की हम ये मान लें |
मैं हूँ तेरी तू है मेरा फिर से दुनिया जान ले |
मैं हूँ तेरी तू है मेरा फिर से दुनियां जान ले |
17 टिप्पणियां:
क्या तुम भी मुझे उतना ही चाहते हो ?
चलो जाने दो अब ये शिकवे - गिले | bahut sunder!!!!!
मैं बाट जोहते - जोहते थक जाती हूँ | तुम न जाने किस गली में बंसी बजाते हो |
saaware ki bansi ki dhun mei rahda ka kho jana ......prem purn abhivyakti
bahut sunder
प्रेमरस में सराबोर सुन्दर रचना
यही तो उसके प्रेम के रंग हैं।
lovely and melodious !!
prem ras se sarobar ..........
बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
यही उलाहना बनती है।
bhut khubsirat prempur rachna...
अच्छी लगी यह रचना . बहुत-बहुत आभार .कृपया मेरे ब्लॉग पर ज़रूर आएं और देखें -आपके स्वागत में हैं 'किस दुनिया के जन्तु ?'
Meenakshi ji ki bahut sundar rachna prastut ki hai aapne .badhai .
aap ke blog ka parichay maine apni blog post me ''ye blog achchha laga ''par diya hai .mere blog ka URL hai-
''http://yeblogachchhalaga.blogspot.com''
छेडो बंसी की एसी धुन की हम ये मान लें |
मैं हूँ तेरी तू है मेरा फिर से दुनिया जान ले |
bahut sundar prastuti meenakshi ji.ye blog achchha laga se yahan aana hua aur bansi kee dhun ne ye manne ko majboor kiya jo aap hame manvana chahti thi.vah vah..
भावनाओं की भीड़ में सत्य खोजती ..सुंदर अभिव्यक्ति ...!!
बधाई मिनाक्षी जी ..!!
छेडो बंसी की एसी धुन की हम ये मान लें |
मैं हूँ तेरी तू है मेरा फिर से दुनिया जान ले |
बहुत सुन्दर शिकायतें और प्रेम से भरी रचना !
बहुत प्यारी धुन बंसी की ..
सुन्दर प्रवाह-उम्दा गीत..शुभकामनाएँ.
प्रेम रस से ओत प्रोत भावमयी रचना
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