न कहो कोई ख्वाब हमें जो आँख खुलते ही बिखर जाऊ मैं |
न कहना मुझे किसी का दिल जो चोट लगते ही टूट जाऊ मैं |
सावन जो कहोगे मुझे बारिश की तरह फिर मैं बरस जाउंगी |
दरिया न कहो मुझे कही तुम्हे भी साथ लेके न बह जाऊं मैं |
आंसूं जो कहोगे मुझे तो दर्द बनकर आँखों से निकल जाउंगी |
चाँद भी न कहना मुझे सूरज की रोशनी में मद्धम मैं पड़ जाउंगी |
बहती नदिया कहोगे तो भी तो सागर में ही तो समा जाउंगी |
फूल जो कहोगे तो भंवरों की प्यास मैं ही तो हरदम बुझाउंगी |
जिंदगी से तो मैं बावस्ता हूँ उसकी तो हर बात में एक नशा है |
अब जब साथ इतना जरूरी है तो हाथ थाम के दूर निकल जाऊगी |
21 टिप्पणियां:
आंसूं जो कहोगे मुझे तो दर्द बनकर आँखों से निकल जाउंगी |
चाँद भी न कहना मुझे सूरज की रोशनी में मद्धम मैं पड़ जाउंगी |...waah
मैं, बस वही कहो।
wah bahut hi sunder.....
सुंदए भाव से सजी रचना।
आंसूं जो कहोगे मुझे तो दर्द बनकर आँखों से निकल जाउंगी |
चाँद भी न कहना मुझे सूरज की रोशनी में मद्धम मैं पड़ जाउंगी |
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
आखिर आपको क्या कहा जाए हर बात कहने में तो आप ने आफत मचा दिया !
बहुत खूब कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
शुभकामनायें.......
मीनाक्षी जी आपका भी जबाब नहीं.
साथ आपका बहुत जरूरी है.
और कुछ नहीं कहना.
लाजबाब प्रस्तुति.
बहुत कुछ कहती हुई.
जी, वैसे तो हर लाइन ही दमदार है, लेकिन ये दो लाइनें बहुत अच्छी लगीं।
बहती नदिया कहोगे तो भी तो सागर में ही तो समा जाउंगी |
फूल जो कहोगे तो भंवरों की प्यास मैं ही तो हरदम बुझाउंगी |
बहुत सुंदर
सोचना पड़ेगा, कौन सा उपमान लायें आपके लिए।
रश्मि दी , प्रवीण जी , रोशनी जी ,मनोज जी , डॉ वर्षा जी आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया |
मदन जी , राकेश जी ,महेंदर जी व् घनश्याम जी आपका भी बहुत - बहुत शुक्रिया दोस्त |
आंसूं जो कहोगे मुझे तो दर्द बनकर आँखों से निकल जाउंगी |
चाँद भी न कहना मुझे सूरज की रोशनी में मद्धम मैं पड़ जाउंगी |
Minakshi ji bahut hi khubsoorat Abhivyakti..Shabdon ka chayan ati uttam...hamesha ki tarah.
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
विजय रंजन जी व् कैलास जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त :)
What I say.. Wonderful
Loved it as ever !!!
Regards
thanx joyti dear i am very much thankful to u :)
बेहतरीन.
कल 17/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत में जरुर आउंगी दोस्त बहुत - बहुत शुक्रिया :)
आंसूं जो कहोगे मुझे तो दर्द बनकर आँखों से निकल जाउंगी |
चाँद भी न कहना मुझे सूरज की रोशनी में मद्धम मैं पड़ जाउंगी |
बहुत सुंदर अह्सास....
बहुत - बहुत शुक्रिया अरुण जी |
उम्दा रचना ! बधाई !
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