कभी देखा नहीं मैंने तुझे
किस्से कहानियों से जाना है |
बहुत नटखट है तू
तेरी लीलाओं ने बताया है
बचपन में सारी ग्वालनों को
तू सताता था |
तोडके मटकी सबकी जाके
माँ के आँचल में छुप जाता था |
सबको अच्छे - बुरे का
भान भी तू कराता था |
हर अंदाज़ में जीने का ढंग
सबको सिखाता था |
बड़ा हुआ तो गोपियों संग
खूब रास भी तूने रचाया था |
इस कद्र सबके लिए निश्छल
प्यार कहाँ से तू लाया था |
बिना चाहत के हर कोई तेरा
दीवाना हो जाना चाहता था |
गीता का ज्ञान भी मेरे श्याम ने
कराया था |
राधा के प्यार को तुने जब
सीने से लगाया था |
खुद से पहले उसके नाम को
सम्मान दिलाया था |
मीरा ने भी लोक - लाज
छोड कर तुझसे प्रीत लगाई थी |
तेरे नाम के सिमरन में ही
एक अलख जगाई थी |
कंस को मार तुने जन को
मुक्ति दिलाई थी |
तभी तो हर जुबाँ ने सिर्फ
श्याम कि ही रट लगाई थी |
तेरी लीलाओं का अंत
हमने अब तक न पाया है |
शायद इसीलिए सारी सृष्टि में
आज भी बस तू ही तू समाया है |
10 टिप्पणियां:
वाह! आज के दिन मुरली वाले की शानदार प्रस्तुति करके मन प्रसन्न कर दिया है आपने.
कृष्ण को देखना कहाँ असम्भव है ,बस उनके हृदय भगवद्गीता में प्रवेश कीजियेगा.फिर उनके इन वचनों पर भी गौर कीजियेगा.
" न तो ऐसा ही है कि मैं किसी काल में नहीं था,
तू नहीं था अथवा ये राजालोग नहीं थे और न ऐसा ही
है कि आगे हम सब नहीं रहेंगें'
अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार मीनाक्षी जी.
बहुत ही सुन्दर... happy janmaastmi....
कृष्ण की लीलाओं का सुन्दर चित्रण
जन्माष्टमी की शुभकामनायें
बहुत सुंदर .. जन्माष्टमी की शुभकामनाएं !!
सुन्दर भाव्………कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।
happy janmashtmi to u too :)
Nice poem as ever !!
bahut khoob
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
janmastmi ke shubh avsar per hardik badhai aur sunder .bhav se sarobar rachna ki bhi badhai
.......
मुरलीधारी मधुर मनोहर।
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