कस्में - वादे


चांदनी रात में हम इस कदर टकटकी लगाते रहे |
लेकर उनकी निशानी देर तक हाथ में घुमाते रहे |

वो न आये रात भर , हम खुद को आजमाते रहे |
देके खुद को झूठी तसल्ली चाँद को निहारते रहे |

दर्द , बेबसी और  टीस वो सब मेरे नाम करते रहे |
हम खामोश बैठ सारे इल्जाम अपने सर लेते रहे |

एक - एक शेर को जोड़कर , वो गज़ल बनाते रहे  |
हम मोम सा जलकर सारी सारी रात पिघलते रहे  |

यादें तेरी झूठे कस्में  - वादों से पर्दा उठाते रहे  |
अंधेरी रात में  जिंदगी के मायनें समझते रहे  |

18 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

प्रभावी पंक्तियाँ .आभार..

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति..

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत बढिया

prerna argal ने कहा…

एक - एक शेर जुडकर गज़ल एक बनती चली गई |
मैं मोम सी जलकर सारी रात बस पिघलती ही रही |
bahut hi dil ko choo lenewaali abhibyakti.aek aek sher shaandaar hai .badhaai aapko dost.

Suresh kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर है

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

kyaa baat hai bhtrin gazal likh daala hai .......akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

एकान्त में मन ही सर्वाधिक बोलता है।

poonam ने कहा…

bahut khub...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

एक - एक शेर जुडकर गज़ल एक बनती चली गई |
मैं मोम सी जलकर सारी रात बस पिघलती ही रही |

अत्यंत सशक्त.

रामराम

Jyoti Mishra ने कहा…

beauteous !!!

विभूति" ने कहा…

चांदनी रात में हम इस कदर टकटकी लगाते रहे |
हाथ में लेकर उनकी निशानी देर तक घुमाते रहे |
khubsurat panktiya....

Dr Varsha Singh ने कहा…

एक - एक शेर जुडकर गज़ल एक बनती चली गई |
मैं मोम सी जलकर सारी रात बस पिघलती ही रही

such a beautiful ghazal...
I appreciate it .

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरती से लिख दिए हैं मन के भाव .. अच्छी प्रस्तुति

सागर ने कहा…

khubsurat bhaavo se rachi rachna....

सागर ने कहा…

khubsurat bhaavo se rachi rachna....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

एक - एक शेर जुडकर गज़ल एक बनती चली गई |
मैं मोम सी जलकर सारी रात बस पिघलती ही रही |
waah, kya baat hai

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

aek -aek sher ...bilkul sherke samaan

Udan Tashtari ने कहा…

शानदार सशक्त रचना...