खिलती कली




मन के आँगन में
बहारों का देखो  डेरा |

माली के चेहरे में
मुस्कराहटों का सवेरा |

चिड़िया की चहचाहट
भंवरों का प्यारा गुंजन |

तितली का यूँ मचलना
बादल का फिर बरसना |

हिलोरे लेता सागर
कलकल बहती नदिया |

चंदा का मुस्कुराना
काली रातों  का  पहरा |

सूरज की प्यारी किरणें
हवा का मंद - मंद बहना |

फूलों की प्यारी खुशुबू
सारे आलम का ठहरना |

13 टिप्‍पणियां:

कुमार संतोष ने कहा…

Minakshi ji choti si kavita mein kitna kuch keh diya aapne .

Aabhaar. . . !!

Rahul Singh ने कहा…

भावों से नाजुक शब्‍द.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सब प्रकृति का रंग और उभारते हुये।

विभूति" ने कहा…

कोमल भावो की बेहतरीन अभिवयक्ति.....

Neeraj Kumar ने कहा…

मासूम और कोमल शब्दों के साथ प्रकृति और अन्तर्मन की बेहतरीन प्रस्तुति... वाह क्या कहने...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

अच्छी रचना।
क्या कहने...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्राकृति को शब्दों और छंदों में उतार दिया आपने ... कोमल भाव ...

Pallavi saxena ने कहा…

पकृति के रंगो से सजी खूबसूरत रचना मगर अपटो एसा मनमोहक प्रकर्तिक वातावरण केवल कुछ एक खास सतहों पर ही देखने को मिलता है या फिर सिर्फ किताबों में...

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

praakratik rachna!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चंदा का मुस्कुराना
काली रातों का पहरा |

सूरज की प्यारी किरणें
हवा का मंद - मंद बहना |

बहारों का सुन्दर डेरा ...

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहतरीन अभिवयक्ति....!

betuliyan ने कहा…

§´UèÙÁ ðÙη´¤Ì âÂæè´Á è´Â ´´¿ ‡‡‡ §´U·¤è´´Ü×× èß ´´¿æß ‡‡‡

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति है....