वो गुनगुनाती गज़ल , वो मदहोश रातें |
तेरे - मेरे मिलन की , वो दिलकश बातें |
न तुमने कहा और , न कुछ हम कह सके |
ख़ामोशी में गुजरी , तमाम रगिन सदाएं |
सोचा था रात का , हर एक लम्हा चुरालूं |
उसको पिरोकर फिर , एक गजरा बनाऊं |
तेरे गेसुओं को , महकते फूलों से सजाकर |
हो जाऊं फ़िदा , फिर तेरी हरएक अदा पर |
पर रात के अँधेरे ने , मंजर ऐसा बना दिया |
मेरे - तेरे दरमियाँ कोई , आके था ठहर गया |
पलक उठाके मैंने , उसका दीदार जो किया |
वो कोई और नहीं , वो तो साया था चाँद का |
वो हादसा जहन में , मेरे कुछ ऐसे उतर गया |
चांद तो चला गया , पर वक्त वही ठहर गया |
अब तक भी न , मुझसे वो पल संवर सका |
वही बेकरार रातें और चांदनी का संग मिला |
20 टिप्पणियां:
सोचा था रात का , हर एक लम्हा चुरालूं |
उसको पिरोकर फिर , एक गजरा बनाऊं |
बेहतरीन पंक्तिया .
वो हादसा जहन में , मेरे कुछ ऐसे उतर गया |
चांद तो चला गया , पर वक्त वही ठहर गया |
bahut khoob.......
wah!
क्या कहने, बहुत सुंदर
सोचा था रात का , हर एक लम्हा चुरालूं |
उसको पिरोकर फिर , एक गजरा बनाऊं |
तेरे गेसुओं को , महकते फूलों से सजाकर |
हो जाऊं फ़िदा , फिर तेरी हरएक अदा पर |
पलक उठाके मैंने , उसका दीदार जो किया |
वो कोई और नहीं , वो तो साया था चाँद का |
वाह क्या कहने.... हरेक शेर शानदार है...
बहुत सुन्दर एवं लयबद्ध !
awesome lines..
always a fun to read wat u write !!
हर बार यहाँ आके सोचता हूँ की कोई पढूंगा पर कोई टिपण्णी नहीं डालूँगा पर फिर से इतनी खुबसूरत रचना की विवस हूँ आपको धन्यवाद् कहने के लिए, धन्यवाद् From Great talent
वो गुनगुनाती गज़ल , वो मदहोश रातें |
तेरे - मेरे मिलन की , वो दिलकश बातें |वाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......
वो हादसा जहन में , मेरे कुछ ऐसे उतर गया |
चांद तो चला गया , पर वक्त वही ठहर गया |
समय रुका था स्मृति बनकर,
भावों को बह जाने दें।
बहुत अच्छी बात कही आपने...शुभकामनाएँ!
बहुत ही सुन्दर रचना...आपका ब्लॉग फोलो करके खुशी हुई...
sundar
behtreen prstuti..........
वाह !
सुंदर रचना ...
बधाई !!
वो हादसा जहन में , मेरे कुछ ऐसे उतर गया |
चांद तो चला गया , पर वक्त वही ठहर गया |
क्या बात है ...वाह!
सादर
बहुत सुंदर....
www.poeticprakash.com
शानदार अशआर...
सादर बधाई...
महकती...मदमाती...
सुन्दर और प्यारी सी रचना....
अब तक भी न , मुझसे वो पल संवर सका |
वही बेकरार रातें और चांदनी का संग मिला |
बहुत बेहतरीन रचना...
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