
मौसम न जाने क्या , साजिश है कर रहा |
हर तरफ घनी रात का , दामन पसर रहा |
चाँद की चांदनी भी , मध्यम है पड़ रही |
मानो कोहरे की , अब बारात निकल रही |
आसमान में बादल ऐसे , बन - बिगड रहें |
हमसे कोई बात कहने को हों वो तरस रहे |
महसूस होने लगी वही , सिरहन की रात है |
बारिशों के पाँव बंधी घुंघरुओं की आवाज है |
पेड - पौधे बदलने लगे अब नई पोशाक है |
पहाड़ों को मिली श्वेत चादर की सौगात है |
अजब मौसम अब मेरे देश का है हो रहा |
मैं कर रही हूँ सफर वो मेरे साथ चल रहा |
19 टिप्पणियां:
सर्द मौसम का बहुत प्यारा चित्रण...
बहुत खूब मिनाक्षी जी.
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने
अच्छी लगी रचना .
आसमान में बादल ऐसे , बन - बिगड रहें |
हमसे कोई बात कहने को हों वो तरस रहे..
प्रकृति का सुन्दर वर्णन , सुंदर भाव
अच्छी रचना है,
बहुत सुंदर
sardi ke mousam kii sunder peshkash
मौसम बदल रहा है, जा रहा है अपनी पुरानी स्मृतियों में।
आसमान में बादल ऐसे , बन - बिगड रहें |
हमसे कोई बात कहने को हों वो तरस रहे..
सुंदर भाव
बहुत अच्छी प्रस्तुति...
अच्छी लगी रचना .
अच्छी लगी रचना.......
क्या खूबसूरत ख्वाब लिखा है!
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-729:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
सर्द मौसम का बहुत प्यारा चित्रण...सुन्दर प्रस्तुति
सुन्दर छटा मौसम की ... आभार.
पेड - पौधे बदलने लगे अब नई पोशाक है |
पहाड़ों को मिली श्वेत चादर की सौगात है |
..barafani dinon ki yaad taaji ho chali..
sundar prakritik nazara..
बर्फ की चादर वाले मौसम का खूबसूरत वर्णन।
बहुत खूब, लाजबाब !
खुबसूरत चित्र के साथ सर्द मौसम का बहुत खुबसूरत वर्णन है
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