अंदाज़ अपना - अपना



बड़ा दिलकश सा अंदाज़ , है ये तेरा
बातों - बातों में हमको , रिझाना तेरा |

कभी पलकें झुकना , कभी पलकें उठाना
ये आँखों- आँखों में ही मुस्कुराना  तेरा |

जुबाँ से कुछ न कहना , बस खामोश रहना
ये वजह - बेवजह यूँ हमको सताना  तेरा |

कभी दूर हमसे जाना कभी पास मेरे आना
ये बात - बात पर यूँ इतराना तेरा |

चल छोड़ ये नजाकत कहीं कर न दे बगावत
ये रह - रहकर हमपे सितम ढाना तेरा |



13 टिप्‍पणियां:

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

दिल के सितम के साथ कहें गए खूबसूरत अहसास

devendra gautam ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर और प्यारी अभिव्यक्ति..
मनभावन...
:-)

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह...
सुन्दर..रूमानी गज़ल...

सादर
अनु

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

वाह!
आपके इस उत्कृष्ट प्रवृष्टि का लिंक कल दिनांक 10-09-2012 के सोमवारीय चर्चामंच-998 पर भी है। सादर सूचनार्थ

पुरुषोत्तम पाण्डेय ने कहा…

अच्छी रचना है.

Minakshi Pant ने कहा…

मैं सभी सम्मानित मित्रों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया |

कविता रावत ने कहा…

यही तो है इजहारे प्यार
बहुत सुन्दर प्यारी रचना

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने... :-)

Ramakant Singh ने कहा…

कभी दूर हमसे जाना कभी पास मेरे आना
ये बात - बात पर यूँ इतराना तेरा |

khubsurat aihasaas

Saras ने कहा…

हम्म्म्म...वाकई ....!!!!

विवेक रस्तोगी ने कहा…

कर न दे बगावत :)

Minakshi Pant ने कहा…

सभी दोस्तों का तहे दिल से शुक्रिया |