आंधी



रोज रास्ते में , कभी - कभी टकरा जाती है |
धुल के साथ , पत्तों को भी साथ ले आती है |
बदल जाता है तब सारा आलम ...
जब - जब ये हकीकत में , दस्तक दे जाती है |
एक आशंका दिल में , रह - रहकर सताती है
ये जानते हुए भी की , कुछ देर के लिए ही आती है |
पर जाते - जाते अपने , कई निशां छोड़ जाती है |
निरंतर उसका आगे बढते जाना ...
डाली , टहनियों और कभी- २ पेड़ों को उखाड जाना ,
बढती गाड़ियों की , गति धीमी करते जाना ,
कभी किसी खम्बे से , टकरा तारो को गिरा जाना ,
सड़क पर बेसुध सी , बिछी दिख जाती है |
और जो रास्ते में हैं , उनसे ये अक्सर टकरा जाती है |
ऐसी आंधियां कई - कई बार , जिन्दगी में आती है |
कुछ ही पल में   , सारा सुकूने हयात ले जाती हैं |

9 टिप्‍पणियां:

संध्या शर्मा ने कहा…

जीवन नाम है, इन आँधियों को झेलते हुए भी चलते जाने का... सुन्दर अभिव्यक्ति... आभार

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

हाँ....सब कुछ बिखेर देती हैं ये आंधियां...

बहुत गहन रचना...

सादर
अनु

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

अक्सर होता है ऐसा जीवन में...आंधियां सब कुछ समेट ले जाती है अपने साथ..गहन अभिव्यक्ति...

Saras ने कहा…

बहुत भयावह भी होती यह आँधियाँ....:(((((((((((
गहन ..!!!!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

क्या बात है,
बहुत सुंदर रचना

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वेग न जाने, क्या है कोमल?

Ramakant Singh ने कहा…

ऐसी आंधियां कई - कई बार , जिन्दगी में आती है |
कुछ ही पल में , सारा सुकूने हयात ले जाती हैं |
जो विषम परिस्थिति में जी ले वही जियेगा ...

Ramakant Singh ने कहा…

ऐसी आंधियां कई - कई बार , जिन्दगी में आती है |
कुछ ही पल में , सारा सुकूने हयात ले जाती हैं |
जो विषम परिस्थिति में जी ले वही जियेगा ...

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

बहुत बढिया रचना ..