ये ख़ामोशी का मंजर
और ये तडपता दिल |
राह में दूर तल्ख़ अब
किसे खोजता है दिल |
छोटे - छोटे शहरों की
सुनसान डगर में ,
न कोई था , न कोई है ,
फिर क्यु परेशान है ये दिल |
सावन में भीगे हुए
वर्क में लिखे वो ज़ज्बात
जहन में बार - बार क्यु
दस्तक दे रहा है ये दिल |
सुनी आँखों में रोज
एक सपना सजाकर ,
उसे बेदर्दी से क्यु तोड़ देता है ये दिल |
आ टूटे सपनो की
एक किताब बनाएँ फिर देखें
अब तक कितनी बार टुटा है ये दिल |
सुनसान डगर में ,
न कोई था , न कोई है ,
फिर क्यु परेशान है ये दिल |
सावन में भीगे हुए
वर्क में लिखे वो ज़ज्बात
जहन में बार - बार क्यु
दस्तक दे रहा है ये दिल |
सुनी आँखों में रोज
एक सपना सजाकर ,
उसे बेदर्दी से क्यु तोड़ देता है ये दिल |
आ टूटे सपनो की
एक किताब बनाएँ फिर देखें
अब तक कितनी बार टुटा है ये दिल |
12 टिप्पणियां:
बेहद मार्मिक रचना.
बढ़िया प्रस्तुति !
मार्मिक रचना
RECENT POST चाह है उसकी मुझे पागल बनाये
बहुत उम्दा
सुन्दर रचना.
दिल का टूटा कोई न जाना
बहुत बढिया उम्दा सृजन,,,,
recent post हमको रखवालो ने लूटा
कितनी बार टूटा दिल यह जानने से क्या लाभ .... बस दिल को मजबूत बनाए रखें :)
भावपूर्ण प्रस्तुति
सुनी आँखों में रोज
एक सपना सजाकर ,
उसे बेदर्दी से क्यु तोड़ देता है ये दिल |
आ टूटे सपनो की
एक किताब बनाएँ फिर देखें
अब तक कितनी बार टुटा है ये दिल |
अद्भुत भाव संयोजन जहाँ दिल टूटता भी है और नए संचार लेकर खुद ही संजोने का भी काम कर लेता है ...
सुन्दर रचना!
sunder...sunder....atsunder...........
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