दिल



ये ख़ामोशी का मंजर 
और ये तडपता दिल |
राह में दूर तल्ख़ अब 
किसे खोजता है दिल |
छोटे - छोटे शहरों की
सुनसान डगर में ,
न कोई था , न कोई है ,
फिर क्यु परेशान है ये दिल |
सावन में भीगे हुए
वर्क में लिखे वो ज़ज्बात
जहन में बार - बार क्यु
दस्तक दे रहा है ये दिल |
सुनी आँखों में रोज
एक सपना सजाकर ,
उसे बेदर्दी से क्यु तोड़ देता है ये दिल |
आ टूटे सपनो की
एक किताब बनाएँ फिर देखें
अब तक कितनी बार टुटा है ये दिल |

12 टिप्‍पणियां:

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बेहद मार्मिक रचना.

मेरे भाव ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति !

अरुन अनन्त ने कहा…

मार्मिक रचना
RECENT POST चाह है उसकी मुझे पागल बनाये

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

बहुत उम्दा

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

सुन्दर रचना.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दिल का टूटा कोई न जाना

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत बढिया उम्दा सृजन,,,,

recent post हमको रखवालो ने लूटा

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कितनी बार टूटा दिल यह जानने से क्या लाभ .... बस दिल को मजबूत बनाए रखें :)

भावपूर्ण प्रस्तुति

Ramakant Singh ने कहा…

सुनी आँखों में रोज
एक सपना सजाकर ,
उसे बेदर्दी से क्यु तोड़ देता है ये दिल |
आ टूटे सपनो की
एक किताब बनाएँ फिर देखें
अब तक कितनी बार टुटा है ये दिल |

अद्भुत भाव संयोजन जहाँ दिल टूटता भी है और नए संचार लेकर खुद ही संजोने का भी काम कर लेता है ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर रचना!

betuliyan ने कहा…

pandey dc ने कहा…

sunder...sunder....atsunder...........