किस इंतजार में हो बैठे ?
सदियाँ बीत गई ,
सदियाँ बीत जाएगी |
ये नफ़रत ...
अभी न जाने कितनों का दिल और दुखाएगी ।
ये ननफरत की आग जाने कितने घर जलाएगी ।
लम्बा फासला है इंसा के बीच
इंसानियत के सफर का ,
ये कारवां - ए - सफर .....
इतनी जल्दी मुकाम न पायेगी |
कोई भी वजह , बेवजह तो नहीं |
ये घृणा , नफरत और
तिरस्कार अपने निशां ...
छोड़के ही जाएगी |
फिर क्यों बेवजह का शोर ?
बेवजह की दलीलें ?
क्यों इस बात से अनजान है हर कोई ?
चारों तरफ नज़र घुमाकर देखो ,
हर सवाल का जवाब मिलेगा हमें यहीं ।
कितना बड़ा फासला है ...
अहम् , नफरत , अदब का मोहोब्बत के दरमियाँ ।
बेमतलब एक दुसरे का तिरस्कार ,
भावनाओं को कुचलता अहम्
दर्द देकर मुस्कुराती जिद्द |
अमीरी - गरीबी ने इस फासले को
और .... बड़ाया हैं |
नफरत ने इंसा के सीने में बारूद भरा है ।
जब - जब चिंगारी लगी ...वो धमाके से फटा है
नहीं - नहीं , हर बार गरीब कुसूरवार नहीं .....
अमीरी भी इसकी गुनाहगार है ।
फिर सज़ा गरीब के हिस्से में ही क्यों ?
ये इंसानियत के बीच का फासला है
हर बार गरीब को ही झुकना पड़ता है ।
इसलिए की पैसों की बोली में
उसकी औकात कम है । ...
हाँ ... बस , यही वो फर्क है ...
जो एक - दुसरे के खिलाफ
बगावत है सिखाती |
क्युकी प्यार शब्द में तो
नफरत का नन्मोंनिशन नही |
यही फासला मीलों दूरियां तय करता है
सिर्फ बातों और नारों से ही
जज्बात नहीं बदलते ,
ये ज़ज्बा तो खुद में भरने पर ही ,
असर हैं करते ,
वर्ना वेदना , दर्द , आह
और छटपटाती ख़ामोशी तो
धरोहर है इन्सान के |
5 टिप्पणियां:
वातावरण में छिटकी पीड़ा हर समय अनुभव होती है।
दर्द को बयां करती सार्थक पोस्ट चिंतन परक
भावनाओं को कुचलता अहम्
दर्द देकर मुस्कुराती जिद्द |
अमीरी - गरीबी ने इस फासले को
और .... है बड़ा दिया |
नफरत ने इंसा के सीने में बारूद है भर दिया | ,
जब - जब चिंगारी लगी ...वो धमाके से फटा |
naa bhavna hai naa samvedna hai . hai keval nafrat.
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विचारणीय भाव लिए पंक्तियाँ..
दर्द ही दर्द झलकता है
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