सुबह भी चली गई ,
शाम भी ढल गया ,
रात अपने आगोश में
चाँद को लेकर निकल गया |
कल फिर आएगा ,
सूरज को साथ लायेगा ,
नये दिन के साथ हम भी
नये सपनों में खो जायेंगें |
मन को नया बनायेंगें ,
बीते कल को भुलाएँगें ,
नये पल के स्वागत में
हम फिर महफ़िल सजायेंगें |
तुम भी जरुर आना ,
वादों को संग में लाना ,
गुजरे कल को भुला
वर्तमान में जीना सीख जायेगें |
6 टिप्पणियां:
गुजरे कल को भुला कर वर्तमान में जीना सीख जायेंगे।
सुंदर सही खयाल। सुंदर प्रस्तुति भी।
बेहतरीन सुंदर रचना !
प्रभावशाली रचना |
आइये, कीजिये:- "झारखण्ड की सैर"
नये कल की आशा की उमीम्द को रौशन करती अच्छी रचना.....
जो बीत गया, वह जाने दें।
बहुत २ शुक्रिया दोस्तों :)
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