बेजुबान ओरत

 

इस बार की बारिश इस बेजुबान ओरत की तरह ही लगी !
जो सारी जिन्दगी भर का दुख समेटे एक ही बार मै बरस गई!
उसकी  बूंदों ने तो जेसे  सबके  मन को  मोह लिया !
उन्ही बूंदों ने मिलकर धरती मै एक विकराल रूप लिया !
सारे जन- जन मै  उसने अपने रूप का बखान किया !
अपनी मोहनी अदाओ से सबको अपने बस मै किया !
 मत करो झेड़ खानी इससे की दर्द इतना भी न बढ जाये !
उसकी  सारी संवेदना भयंकर रूप ना धर आये !
करो तुम हर दम स्वागत उसके प्यारे एहसासों का   !
भर दो उसकी झोली हर दम प्यार भरे उपहारों का  !
कर दो उसकी हर ख्वाइश को मालामाल तुम !
ले लो उससे हर दम बिन मांगे प्यार का भंडार तुम !

4 टिप्‍पणियां:

Krishna Baraskar ने कहा…

bahut hi achhe jee bahut hi achhe.. aapki quality ke sab diwane hai..
jaise ki jyadatar log aapko sagest karte hai thoda vartni me dhyan dengi..

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संजय भास्‍कर ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति....

नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

bhawna ने कहा…

Its a real picture of a lady.....well said....good work done...I am proud to be your sister...........

Kailash bhatt ने कहा…

Bahut sunder poem hai,sahi mayne mein naari ke dil ki baat kahi hai. Thanks

kailash bhatt