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दोनों मिलकर पहले
प्यारा संसार सजातें हैं |
फिर सपने बुनते जाते हैं
प्यारा घरोंदा बनातें हैं |
नन्हे -नन्हे बच्चों के संग
अपनी बगिया महकाते हैं |
उनका लालन - पालन करते हैं
फिर उनके ख्वाब सजाते हैं |
बेटे को प्यारा घर देते हैं
बेटी को प्यारा वर देते हैं |
सारा जीवन बच्चों को दे
वो कभी गिला न करते हैं |
बच्चों को अपना सब कुछ वार
सिर्फ प्यार की आस लगाते हैं |
अब उनकी बारी आई है
थोड़ी जिम्मेदारियां आई है |
क्या उनके बलिदान को वो भूलेंगे ?उस प्यार - दुलार को भूलेंगे ?
नहीं वो हरगिज़ एसा न कर पाएंगे
अपना कर्तव्य निभाएंगे |
उनको आदर देते रहकर
उनका सम्मान बढ़ाएंगे |
फिर अपनी प्यारी सी बगिया में
वो सुंदर - सुंदर से फूल खिलाएंगे |
5 टिप्पणियां:
acha likha hai aap ne
aap kafi aacha leekhti hoooo
hope aap esa hi leekthi rahe
धन्यवाद दोस्तों !
जानते हो आप सबके प्यार की वजह से ही मै ये सब लिख सकती हु !
अगर आप लोग अपने विचार नहीं देंगे तो मुझे ताक़त कहाँ मिल पायेगी !
kash bachche hamare sach me hamare baagiya me waise khusboo bikher payen, jo ham chahte hain...:)
ek utkrisht rachna.........
ab follow kar raha hoon, barabar aaunga!!
शुक्रिया दोस्त !
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