दूरदर्शन की दुनिया भी !
जो देखो............ अपने आप को
भुनाने मै लगी हुई है !
कभी राखी का इंसाफ है तो ,
कभी बिग बॉस की आवाज़ बनी हुई है !
ये बाजारवाद तो परम्पराओ को ,
विकृत रूप देने मै लगी हुई है !
और देखो न ये तो युवावर्ग मै
रोज़गार का गन्दा रूप भरने मै लगी हुई है !
और कहती है.......... वो परिवार को ,
बस जोड़ने मै लगी हुई है ?
ये तो वास्तव मै वास्तविकता का ,
मजाक उड़ाने मै लगी हुई है ?
हर पूंजीवाद अपनी पूंजी के प्रवाह से,
हर एक मासूम को जाल मै फ़साने मै लगी हुई है ?
न जाने ये कब तक अपना जाल बिछाएगी !
युवावर्ग के हृदये मै प्रहार करती जाएगी !
उनकी इस अदा मै न जाने क्या नशा है !
हर घर का बन्दा उसमे ही खो गया है !
उनकी तो आमदनी का काम आसां बन गया है !
यहाँ सबके घर का माहोल बिगड़ सा गया है !
3 टिप्पणियां:
प्रत्येक जागरूक भारतीय अभिभावक के चिंता का विषय हो चूका है ये .
परन्तु इसे पसंद कर बढ़ावा देने वाले भी तो कम नहीं. न ही कोई केंद्रीय सामाजिक चिंतन एवं नियंत्रण.
........उत्तम अभिव्यक्ति .
हम जानते थे आप हमारी पोस्ट पड़कर कोई न कोई प्रतिक्रिया जरुर देंगे दोस्त !
बहुत बहुत धन्यवाद !
sach kahati hai.....
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