धर्म



क्या होता है धरम ?  किसका नाम है धर्म  ?
मार - धाड़ , छीन - झपट नहीं - नहीं धर्म ये तो नहीं !
अगर हम सच मै जानना चाहतें हैं ,  कि धर्म  क्या है ?
तो हमे मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों मै जाकर देखना होगा !
उस वक़्त लोगों के अन्दर का जूनून ...मदमस्त गूंजती आवाजें !
उस वक़्त कुच्छ भी कर डालने का ज़ज्बा ..........................
हमारे तनबदन को झुमने पर मजबूर कर डालता है !
उस वक़्त हमारी भावना इतनी सच्ची  होती है ..............
कि हम कुच्छ भी कर गुजरने को तैयार  हो जाते हैं !
काश वो ज़ज्बा ....................हर वक़्त हमारे अन्दर रहे
वही एहसास तो धर्म  है जो हमें  ...............................
कुच्छ कर गुजरने को कहता है !
जिसमें  प्यार , शांति , मोहब्बत ,समर्पण .........
जेसे भाव जगतें हैं जो हमे ........बेसाहारा और दिन - दुखियों  
कि सेवा करने को प्रेरित करते हैं !
यही तो है वो प्यारा सा धर्म  .........................................
जिसको न समझ पाने कि वजह से................... 
हम उसकी तलाश ता उम्र जारी रखतें हैं !
अगर वो एहसास हर समय बना रहे तो ............
हमे धर्म  कि परिभाषा जानने कि जरूरत ही न पड़े !
   

5 टिप्‍पणियां:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

dharm ki parakaashtha ab kaliyug main poori tarah badal gayi hai
ab dharm sirf mudda bankar rah gaya hai

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kaash ham isko padh kar samajh payen ki sachchha dharm kya hai...:)


waise in joking note...ek dharam aajkal Yamla Pagla Deewana me bhi dikh raha hai...:P

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही सार्थक विचार.

सादर

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

धर्म तो बस सुकून देता है । ये सब उलझने तो राजनीतिज्ञों की देन है । अच्छा लिखा !

babanpandey ने कहा…

अगर मेरी माने तो माँ -पिता भगवान् ...और उनका प्यार हमारे लिए प्रसाद