परिवर्तन


परिवर्तन .................................
क्यु होता है ये परिवर्तन ?
कहीं ये हमारे जीवन का हिस्सा तो नहीं ?
जो हर पल हमारे साथ ही रहता है  !
पर इसका साथ हमे बैचेन क्यु कर देता है  !
परिवर्तन ...........................
अर्थात हमारे जीवन मै कुच्छ ......
बदल देने के संकेत........
जिसके लिए तो हम हरगिज़  तैयार नहीं ?
क्युकी हमे तो आदत है ...........
उन सभी पुरानी चीजों कि
फिर चाहे वो हमे कितना भी...........
परेशान क्यु  न कर रही हो !
जिसके तो हम अब आदि हो चुके हैं !
वही हमारी ख़ुशी है और वही हमारे गम भी ,
फिर भी परिवर्तन .........?
और फिर शुरू हुआ ...........
चिंता और परेशानियों  का आगमन
अब क्या होगा , केसे होगा ?
काश पहले जेसा ही रहता
पर बिना परिवर्तन के तो जीवन.........
संभव ही नहीं ............
फिर क्यु  सोचना ...........
और खुद को परेशान क्यु  करना !
परिवर्तन है तभी तो जीवन है !
वर्ना जीते तो सब हैं इस दुनियां मै ,
खुद को बदल कर देखने मै क्या हर्ज़ है !
क्या पता कुच्छ न मिले ?
और अगर  मिले तो बहुत ही अच्छा मिले !
इसलिए बुरे को त्याग कर ..........
अच्छे को ग्रहण करते चलो ,
और ईस तरह अपनी प्यारी सी ........
जिंदगी को हसीन करते चलो !

2 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

'परिवर्तन' क्यों होता है इसे तो आपने ही स्पष्ट कर दिया है.
देखा जाये तो परिवर्तन को हम हर क्षण महसूस करते हैं,ज्यादा कुछ नहीं तो सुबह-दोपहर-शाम और रात का होना और इनके बीतने के बाद फिर एक नयी सुबह ....ये सब परिवर्तन ही तो है जो होकर ही रहता है.

सादर

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

jeevan main parivartan pal pal par hota hai , parivartan ke bina jeevan sambhav nahin hai