कितनी प्यारी होती हैं बेटियाँ |
हर घर को रौशन बनाती हैं बेटियाँ |
पापा की भी दुलारी होती हैं बेटियाँ |
ओस की बूंदों सी नम होती हैं बेटियाँ |
कली से भी नाजुक होती हैं बेटियाँ |
स्पर्श मै अपनापन ना... हो ,
तो भी तो झट से रो देती बेटियाँ |
रौशन करता बेटा तो सिर्फ एक ही कुल को ,
दो -दो घरों की लाज निभाती हैं बेटियाँ |
सारे जहां से प्यारी होती हैं बेटियाँ |
सांसो मै बसी धरोहर होती हैं बेटियाँ |
सांसो मै बसी धरोहर होती हैं बेटियाँ |
विधि का विधान कहो, या
दुनिया की रस्मों को मानो ,
दुनिया की रस्मों को मानो ,
मुट्ठी मै भरे नीर सी होती हैं बेटियाँ |
चाहे सांसे ही क्यु थम जाये बाबुल की ,
हथेली पीली होते ही पराई हो जाती बेटियाँ |
तभी तो हर पल याद हमें आती हैं बेटियाँ |
सारे जहां से न्यारी होती हैं बेटियाँ |
सारे जहां से न्यारी होती हैं बेटियाँ |
9 टिप्पणियां:
भावपूर्ण रचना. आशा है यह http://akaltara.blogspot.com/2010/10/blog-post.html देखना भी आपको पसंद आएगा.
रोशन करता बेटा तो सिर्फ एक ही कुल को
दो-दो घरों की लाज निभाती हैं बेटियां
सारे जहाँ से प्यारी होती हैं बेटियां
सत्य वचन ......बहुत ही भावुक अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर और कोमल कविता, सबसे अच्छी होती हैं बेटियाँ।
बहुत सुन्दर और कोमल कविता, सबसे अच्छी होती हैं बेटियाँ।
ओस की बूंदों सी नम होती हैं बेटियां |
कली से भी नाजुक होती हैं बेटियां |
सच में बेटियां
बेहतरीन रचना। आपने तो दिल को छू लेने वाली रचना पेश कर दी। मेरी एक बेटी है और वही मेरी जिंदगी है। आपकी रचना की आखिरी लाईनों ने तो मुझे चिंता में डाल दिया,
''चाहे सांसे थम जाये बाबुल की , हथेली पीली होते ही पराई हो जाती बेटियां ...''
मेरी बेटी अभी महज चार साल की है लेकिन उसके पराए होने की कल्पना मात्र से मेरी आंखों में आंसू आ गए।
एक बार फिर बेहतरीन रचना।
man ko chhoo lene vali bahut pyari kavita bilkul betiyon ke jaisi komal v pyari .badhai sundar lekhan ke liye Minakshi ji .
आज मुझे सबसे इतनी प्यारी प्रतिक्रिया पाकर बहुत ख़ुशी हुई जिसने भी कहा दिल से कहा मुझे ख़ुशी है की में आज आपके दिल के एहसासों छु पाई | आगे भी कोशिश रहेगी की में कुछ एसा ही बेहतर कर सकूं |
आप सभी का शुक्रिया दोस्तों |
क्यो हो गई मैं भारी,बेती ये पूछती है
बेती क्यो हुई तेरी ये सास पूछती है
क्यो मौन है पुरुश यह मुह्न खोलता नही है
कैसे कहूँ मैं सब कुछ पत्नी ये पूछती है
दर दर की मुशकिले हैं बेती के भाग्य मे फिर
कैसे जने शिवा वह माता ये पूछती है
बेती सदा पराई शकुन है अपने घर मे
वह गाय है बेचारी क्या गाय पूछती है ?
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