ये अनजान रिश्ते भी
जिन्दगी में अजब से होते हैं |
जब - जब हम इनके बिना
जीने की सोचते हैं |
जिंदगी का कोई प्यारा सा
किया समर्पण हमें ,
इनके करीब फिर ले आता है |
क्योंकि जब तक कोई
हमारी कदर करता है
तो हम बेखबर से रहते हैं |
और जब हमें जिंदगी से
शिकायत होने लगती है
तब हमें वो फिर से
याद आने लगते है |
उनकी खूबियों का
पता तब चलता है |
उनका हमपें किया कर्म
ये एहसास ब्यान करता है की
दुनिया में कोई पराया नहीं
यहाँ सब अपने हैं |
सिर्फ एक दुसरे के साथ
प्यार बाँटने भर की देरी है |
रिश्तों को शक्ल देने
भर की ही जरूरत है |
फिर किसी को प्यार न मिले
ये मुमकिन ही नहीं |
फिर दुनिया में कोई तन्हा रहे
इसकी गुंजाईश ही नहीं
जिन्दगी का सफ़र तो
एक हसीन मेला है |
सुख और दुख
जिंदगी का रेला है |
कब तलख़ इससे...दूर
उससे... दूर जायेंगे हम |
क्युकी जिससे जितना दूर
जायेंगे हम , उसे उतना ही
करीब अपने पाएंगे |
फिर क्यों नफरत की
ये दिवार बनाये हम
हर एक शख्श से
प्यार क्यों न बढ़ाएं हम |
और एसा करके सबको
अपना ही क्यों न
बनाते जाएँ हम |
बनाते जाएँ हम |
7 टिप्पणियां:
जब - जब हम इनके बिना
जीने की सोचते हैं |
जिंदगी का कोई प्यारा सा
किया समर्पण हमें ,
इनके करीब फिर ले आता है |
और ऐसा तब तक होता है जब तक इंसान में इंसानियत रहती है ..वर्ना यहाँ तो अपनों का क़त्ल करते देर नहीं लगाते लोग ..बहुत सुंदर कविता भावपूर्ण ..
एक सुझाब है अगर बुरा न माने तो ..
क्योँकि और
क्योँ इस तरह लिखे जाते हैं जी ..
आपकी बात का बुरा हम क्यों मानेगें आपने हमारी गलती नहीं हमें एक नया शब्द सिखाया है और आशा करुँगी की आप एसा हमेशा करते रहेंगे |
शुक्रिया दोस्त |
bhn minakashi ki bhtrin rchna ake liyen mubarkbaad . akhtar khan akela kota rajsthan
जिंदगी के रिश्तों और रिश्तों की जिंदगी पर सुंदर भावनाएं . आभार.
bahut achchhi prastuti .badhai.
बेहतरीन रचना...
rishte
anjaan rishte
bahut aacchi racha
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