पर सबसे पहले इन्सान बनों |
गुणवान बनों , बलवान बनों ,
पर सबसे पहले मददगार बनों |
खुद के लिए जैसे तुम जीते हो ,
दुनियां में तुम वैसी शान बनों |
बेनूर नज़र के नूर बनों |
दुखियों की तुम मुस्कान बनों |
जो बेबस हैं ठोर- ठिकानों से ,
उनके तुम बस साहेबान बनों |
सूरदास बनों , रसखान बनों ,
पर सबके तुम राजदार बनो |
करो कुछ एसा दुनियां में ,
की तुम ही खुदा के अवतार लगो |
9 टिप्पणियां:
सच कहा आपने, इन्सान बनने से बड़ा कोई और कार्य नहीं है, सुन्दर कविता।
aadrniya minakshi ji,
sach kaha aapne
ek ek line behtreen
umda rachna
सुन्दर सन्देश। बधाई।
bahut mehnat ka karya hai........insaan banana:)
mere se to sambhav nahi..:D
pyari se rachna...
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बधाई!
sundar bhav...
sachcha insaan banna sabse puneet karm hai.
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html
अब आपकी इस पोस्ट के बारे में क्या कहू .. मुझे तो शब्द ही नहीं मिल रहे है ... बस एक ही शब्द कहुगा वो है धन्यवाद ..
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