कुछ भी बनों

धनवान बनों , विद्वान् बनों , 
पर सबसे पहले इन्सान बनों |
गुणवान बनों , बलवान बनों ,
पर सबसे पहले मददगार बनों |
खुद के लिए जैसे तुम जीते हो ,
दुनियां में तुम वैसी  शान बनों |
बेनूर नज़र के  नूर बनों |
दुखियों की तुम मुस्कान बनों |
जो बेबस हैं ठोर- ठिकानों से ,
उनके तुम बस साहेबान बनों |
सूरदास बनों , रसखान बनों ,
पर सबके तुम राजदार बनो |
करो कुछ एसा दुनियां में ,
की तुम ही खुदा के अवतार लगो |

9 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच कहा आपने, इन्सान बनने से बड़ा कोई और कार्य नहीं है, सुन्दर कविता।

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

aadrniya minakshi ji,

sach kaha aapne

ek ek line behtreen

umda rachna

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर सन्देश। बधाई।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bahut mehnat ka karya hai........insaan banana:)
mere se to sambhav nahi..:D

pyari se rachna...

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बधाई!

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

sundar bhav...
sachcha insaan banna sabse puneet karm hai.

Dinesh pareek ने कहा…

आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html

तरुण भारतीय ने कहा…

अब आपकी इस पोस्ट के बारे में क्या कहू .. मुझे तो शब्द ही नहीं मिल रहे है ... बस एक ही शब्द कहुगा वो है धन्यवाद ..

सतीश सक्सेना ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.