परिचय



फूल मुझे पसंद नहीं , 
मै कांटो का दीवाना हूँ  |
मै जलने वाली आग नहीं , 
जल जाने वाला परवाना हूँ  |
ख्वाब मुझे पसंद नहीं,
मै हकीकत का आशियाना हूँ  |
मै मिटने वाली हसरत नहीं, 
जीने वाला अफसाना हूँ  |
मै थमने वाला वक़्त नहीं,

साथ चलने वाला सहारा  हुं |
मैं ठंडी होती आग नहीं ,
न छु पाने वाली ज्वाला हूँ |
मै रूकने वाली सांस नहीं, 

दिल मे धडकने वाला लावा  हूँ |
कहाँ बांध सकेगा मुझको कोई ,
मैं तो बहने वाली दरिया हूँ |
मैं तो साथ लिए बह जाउंगी  |
सागर में ही तो समाना है|

7 टिप्‍पणियां:

मदन शर्मा ने कहा…

सुन्दर कविता..
आज गुड फ्राई डे क अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं आपको !

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

वाह . क्या बात है ! भावनापूर्ण ओजमयी रचना के लिए बधाई .

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

भावों की सुन्दर लहरी।

संजय भास्‍कर ने कहा…

अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.

Rahul Singh ने कहा…

आसान हुई पहचान.

Rakesh Kumar ने कहा…

मैं तो बहने वाली दरिया हूँ |
मैं तो साथ लिए बह जाउंगी |
सागर में ही तो समाना है|

जिस दरिया को अपने गंतव्य स्थान व लक्ष्य का पता है उसे कौन रोक पायेगा सागर से मिलने को.
आपका उफनता हुआ अंदाज पसंद आया.बहुत बहुत आभार.

Vijuy Ronjan ने कहा…

kanto ke deewane log,
nange paanv aag pe chalkar,
saadh rahe hain jog...
kaanto ke deewane log...

maine apni 3 panktiyon ke madhyam se aapki kavita ki tareef karne ki koshish ki hai...

aabhar..