उसके लब कुछ कहते - कहते रुक से जाते हैं |
लगता है मेरी मज़बूरी वो अक्सर जान जाते हैं |
उसकी बैचेन निगाहें मुझसे कई सवाल करती है |
पर मेरी ख़ामोशी हर बार उसका जवाब बनती है |
कैसे इतना दर्द लेकर वो हमसे इतनी दूर रहता होगा |
क्या सच में वो हमसे इतनी मोहोब्बत करता होगा |
हमारी याद उसके बदन में सिरहन तो लाती होगी |
है तो गुस्ताखी पर हमसे ही गुजर कर जाती होगी |
ये धुप - छाँव का सिलसिला सारे जहां में पल रहा होगा |
तभी एहसासों का काफिला इतना हसीन चल रहा होगा |
चाँद भी अपने दाग को देखकर एकबार तो तडपा होगा |
शायर तो उस वक़्त भी उस पर गज़ल लिख रहा होगा |
11 टिप्पणियां:
चाँद भी अपने दाग को देखकर एकबार तो तडपा होगा |
शायर तो उस वक़्त भी उस पर गज़ल लिख रहा होगा |
अच्छे भाव लिये सुन्दर रचना। शुभकामनायें।
हमारी याद उसके बदन में सिरहन तो लाती होगी |
है तो गुस्ताखी पर हमसे ही गुजर कर जाती होगी |
ये धुप - छाँव का सिलसिला सारे जहां में पल रहा होगा |
तभी एहसासों का काफिला इतना हसीन चल रहा होगा |
खूबसूरत एहसास ..
हमारी याद उसके बदन में सिरहन तो लाती होगी |
है तो गुस्ताखी पर हमसे ही गुजर कर जाती होगी |
बहुत खूब...बहुत खूब....बहुत खूब....
very beautiful and creative !!!'
Loved it.
उसकी बैचेन निगाहें मुझसे कई सवाल करती है |
पर मेरी ख़ामोशी हर बार उसका जवाब बनती है |
कैसे इतना दर्द लेकर वो हमसे इतनी दूर रहता होगा |
क्या सच में वो हमसे इतनी मोहोब्बत करता होगा
......एक एक लाईन गजब ढा रही है | बहुत खुब जी धन्यवाद....
भावों का उत्कृष्ट शाब्दिक निरूपण।
बहुत सुन्दर रचना...
चाँद भी अपने दाग को देखकर एकबार तो तडपा होगा |
बहुत खूब
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
labon ki chuppi,
nigahon ka sawal,
dhoop chhanv ka silsila,
batlaaye shayar ka haal...
Minakshi ji...betareen prastuti.
"चाँद भी अपने दाग को देखकर एकबार तो तडपा होगा |
शायर तो उस वक़्त भी उस पर गज़ल लिख रहा होगा |"
just excellent...!!
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