उदास जब हम बहुत उदास हो जाते हैं |
किसी का हाथ थाम के ...
फिर दूर निकल जाते हैं |
कुछ उसकी तो कुछ अपनी सुनाते हैं |
नोक - झोंक के साथ फिर ...
सफ़र आगे बढ़ातें हैं |
कभी उसे अपना तो ...
कभी उसके बन जातें हैं |
अगर फिर भी दिल न भरे तो ...
तो हम खफा हो जाते हैं |
इतना प्यारा एहसास किसी और से ...
कहाँ बाँट पाते हैं |
किसी और को तो इसकदर हम ...
पहचान भी नहीं पाते हैं |
कब हमसे कोई खफा और
कब खुश है ये कहाँ जान पाते हैं |
अपने एहसासों को अपने अन्दर ही
समेटे चले जाते हैं |
ये धुप - छाँव का खेल तो बस ...
अपने में ही चलता है |
इसलिए अपना साया ही हमें
सबसे प्यारा लगता है |
16 टिप्पणियां:
अपने एहसासों को अपने अन्दर ही
समेटे चले जाते हैं |
ये धुप - छाँव का खेल तो बस ...
अपने में ही चलता है |
इसलिए अपना साया ही हमें
सबसे प्यारा लगता है |
अहसासों की सुन्दर सी दुनिया... बहुत खूबसूरत रचना...
This was very beautiful..
It flowed so smooth... Full emotions and feelings.
Loved it.
बहुत अच्छा लिखा है जी ऐसे ही लिखते रहे
हमारे कुटिया पर भी दर्शन दे श्री मान
आजकल किसी को पहचानना बड़ा दुरूह काम है अगर पहचान ही जाएं तो फिर रोना किस बात का....
अच्छी रचना...
बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना.
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कल 15/06/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है.
आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत है .
धन्यवाद!
नयी-पुरानी हलचल
bhut acchi bhaavpur ehsaaso se bhari rachna...
बहुत खूब..हमेशा की तरह... सुन्दर शब्दों में गहरी बात.
ये धूप - छाँव का खेल तो बस ...
अपने में ही चलता है |
इसलिए अपना साया ही हमें
सबसे प्यारा लगता है |
एकाकीपन के एहसासों को खूबसूरती से शब्दों में बाँधा है.
इसलिए अपना साया ही हमें
सबसे प्यारा लगता है |
अच्छी प्रस्तुति ..आज कल तो अपना साया भी साथ नहीं देता :)
अपने एहसासों को अपने अन्दर ही
समेटे चले जाते हैं |
ये धुप - छाँव का खेल तो बस ...
अपने में ही चलता है |
सुन्दर शब्दों में गहरी बात...अहसासों की सुन्दर रचना..
द्वैत और अद्वैत का द्वंद्व.
कम से कम साया साथ तो चलता है।
अहसासों की सुन्दर रचना|
वाह ,क्या बात है.
यही तो ज़िन्दगी है.
सही कहा आपने, अपना साया हरकिसी को प्यारा लगता है1
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ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
dhoop chhanv ka khel hi karta hamko unmuktapno ka saath sada lagta hai upyukt.
jinka haath tham kar ham,badhte rahe pragati ke path par,
unka saath chhoote to lagta, jaise khud ka jeevan nashwar.
Minakshi ji, hamne apna mantavya de diya...bahut accha laga apka udgaaar...aabhaar.
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