वो लम्हें गुज़र गए वो अरसे गुज़र गए |
न जाने कौन सा वक्त साजिश ये कर गया |
तमाम उम्र तो गुज़र गई ये सोचते हुए |
हाँ ये सच है कि अब मैं कुछ संवर गया |
जब तक था वो जहन में तब तक तो ठीक था |
जब पहुंचा नाम जुबाँ तक तो मंज़र बिगड गया |
यूँ कहो तो उसमे भी तासीर कुछ कम न थी |
जब पास जाके मैंने छुआ तो वो सिहर गया |
सोचा था देखूं तुझे पास से इतने करीब से |
मेरा ये ख्वाब न जाने कहाँ जाके खो गया |
इक रोज जब जुबाँ ने तेरा नाम ले लिया |
ये दौड़ता हुआ शहर अचानक से थम गया |
अब तक जो मेरे ख्यालों में था पल रहा |
अब देखो एक गज़ल बनके निखर गया |
24 टिप्पणियां:
जब तक था वो जहन में तब तक तो ठीक था |
जब पहुंचा नाम जुबाँ तक तो मंज़र बिगड गया |
waah
आज 23 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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इक रोज जब जुबाँ ने तेरा नाम ले लिया |
ये दौड़ता हुआ शहर अचानक से थम गया |
अब तक जो मेरे ख्यालों में था पल रहा |
अब देखो एक गज़ल बनके निखर गया |
बहुत सुंदर शेरों के साथ लिखी शानदार गजल .बदिया प्रस्तुति के लिए बधाई आपको /
please visit my blog.thanks.
http://prernaargal.blogspot.com/
यूँ कहो तो उसमे भी तासीर कुछ कम न थी |
जब पास जाके मैंने छुआ तो वो सिहर गया |
सोचा था देखूं तुझे पास से इतने करीब से |
मेरा ये ख्वाब न जाने कहाँ जाके खो गया |
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
वो लम्हें गुज़र गए वो अरसे गुज़र गए |
न जाने कौन सा वक्त साजिश ये कर गया |सुन्दर ग़ज़ल..
khubsurat gazal....
जब तक था वो जहन में तब तक तो ठीक था |
जब पहुंचा नाम जुबाँ तक तो मंज़र बिगड गया//
waah ...kya baat hai
हर बार की तरह एक बार फिर बहुत सुंदर रचना।
जब तक था वो जहन में तब तक तो ठीक था |
जब पहुंचा नाम जुबाँ तक तो मंज़र बिगड गया |
बहुत कुछ हकीकत के करीब लग रही है
इक रोज जब जुबाँ ने तेरा नाम ले लिया |
ये दौड़ता हुआ शहर अचानक से थम गया |
कमाल का लिखतीं हैं आप मीनाक्षी जी.
शब्द नहीं मिल रहे आपका आभार प्रकट
करने को.ख्यालों में ही बहुत कुछ कह डाला
है आपने.
आभार.
"अब तक जो मेरे ख्यालों मैं पल रहा
अब देखो एक गज़ल बन के निखर गया "
बहुत सुन्दर भाव |बधाई |
आशा
जब तक था वो जहन में तब तक तो ठीक था
जब पहुंचा नाम जुबाँ तक तो मंज़र बिगड गया ...
यही होता है इस दुनिया में ... ताले लगाने पढते हैं ... बहुत अच्छी गज़ल ...
इक रोज जब जुबाँ ने तेरा नाम ले लिया |
ये दौड़ता हुआ शहर अचानक से थम गया |
बहुत खूबसूरत गज़ल ..आभार
BHARTIY NARI
बहुत खूबसूरत....
जब तक था वो जहन में तब तक तो ठीक था |
जब पहुंचा नाम जुबाँ तक तो मंज़र बिगड गया |
दिल को छूने वाली गजल ....बहुत सुन्दर ....
जब तक था वो जहन में तब तक तो ठीक था |
जब पहुंचा नाम जुबाँ तक तो मंज़र बिगड गया |
bahut khub
जिस दिन उस से मिलने का वादा करुँगी |
तभी उम्र भर का शिकवा करुँगी ||....
anu
वाह!
देश के कार्य में अति व्यस्त होने के कारण एक लम्बे अंतराल के बाद आप के ब्लाग पे आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
वाहबहुत सुंदर शेरों के साथ लिखी शानदार गजल !!!!!!
आपका बहुत बहुत आभार!!!
वाह !!! क्या बात है.सुंदर गज़ल.
यूँ कहो तो उसमे भी तासीर कुछ कम न थी |
जब पास जाके मैंने छुआ तो वो सिहर गया |
क्या बात है......
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
each single verse is a treat to readers..
Awesome as ever !!
बहुत सुन्दर रचना , सार्थक सृजन , बधाई
आशा में डूबी पंक्तियाँ।
जब तक था वो जहन में तब तक तो ठीक था |
जब पहुंचा नाम जुबाँ तक तो मंज़र बिगड गया |
यूँ कहो तो उसमे भी तासीर कुछ कम न थी |
जब पास जाके मैंने छुआ तो वो सिहर गया |
बहुत अच्छा प्रस्तुतीकरण
जब तक था वो जहन में तब तक तो ठीक था |
जब पहुंचा नाम जुबाँ तक तो मंज़र बिगड गया |
यूँ कहो तो उसमे भी तासीर कुछ कम न थी |
जब पास जाके मैंने छुआ तो वो सिहर गया |
सोचा था देखूं तुझे पास से इतने करीब से |
मेरा ये ख्वाब न जाने कहाँ जाके खो गया |
uff....kya zazbaat likhen hain....
har ek sher jaise koi fasana suna raha ho....
इक रोज जब जुबाँ ने तेरा नाम ले लिया |
ये दौड़ता हुआ शहर अचानक से थम गया |
wah! wah! wah!
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