ए रात की तन्हाईयों , मुझको लगा लो सीने से |
डर लगता है अब , ख़ामोशी भरे इस मंजर से |
वस्ल की रात है , राहत से बसर अब होने दो |
न रहे गिला कोई , धमकी का असर भी होने दो |
लोग कहते हैं दीवाना , इस पर भी यकीं करने दो |
न रहे तमन्ना अधूरी , उस पल से भी गुजरने दो |
है आग मुझमे भडकने की , कहाँ है इंकार हमें |
न दो हवा इतनी , चलो अब थोडा सँभलने दो |
वो चाहता है हमें , ये बात जो वो दावे से कहता है |
दो दर्द ऐसा , अहसासे बयाँ को महसूस करने दो |
जुदाई का है आलम तो , जुदाई का ही मंजर होगा |
है इतनी गुजारिश , सह लेने तक की हिम्मत दो |
चांदनी रात जो है तो , ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती |
तारों से कुछ देर और , ठहर जाने की मोहलत ले लो |
महफ़िल सजे ऐसी , गिरफ्त में उसकी हम आ जाएँ |
वक्त से चुराकर चंद लम्हे , चले जाने का वादा करलो |
25 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर, क्या कहने.
जुदाई का आलम है , जुदाई का ही मंजर होगा |
है इतनी गुजारिश , सह लेने तक की हिम्मत दो |
मन के गहरे भाव।
Waah !! Kya khoobsurat rachna taareef ke liye shabd chote hain.
Aabhaar.
बहुत कुछ कहती है आपकी रचना |
चांदनी रात जो है तो , ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती |तारों से कुछ देर और , ठहर जाने की मोहलत ले लो...
खुमार में डूबी हुई रचना , बहुत खूब
जुदाई का है आलम तो , जुदाई का ही मंजर होगा |
है इतनी गुजारिश , सह लेने तक की हिम्मत दो |
waah, bahut hi badhiyaa
मन के गहरे भाव को बहुत खुबसूरती से उजागर किया है..मीनाक्षी जी..
waah ....
khusurat shabd rachna ke sath....bahut khub
ए रात की तन्हाईयों , मुझको लगा लो सीने से |
डर लगता है अब , ख़ामोशी भरे इस मंजर से |खुबसूरत और कोमल भावो की अभिवयक्ति....
aap itini acchhi gazal likhti hain bahut khushi aur hairani hoti hai.
bahut bahut badhayi.
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 04 -12 - 2011 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज .जोर का झटका धीरे से लगा
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 04 -12 - 2011 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज .जोर का झटका धीरे से लगा
चांदनी रात जो है तो , ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती |
तारों से कुछ देर और , ठहर जाने की मोहलत ले लो |
खूबसूरत रचना ... गहन अभिव्यक्ति
लोग कहते हैं दीवाना , इस पर भी यकीं करने दो |
न रहे तमन्ना अधूरी , उस पल से भी गुजरने दो |
बहुत ही बढ़िया।
सादर
kya baat hai ..umda
gahare bhavo ko prakat karati ati sundar rachana hai...
लोग कहते हैं दीवाना , इस पर भी यकीं करने दो |
न रहे तमन्ना अधूरी , उस पल से भी गुजरने दो |
अच्छी रचना...
सादर...
जुदाई का है आलम तो , जुदाई का ही मंजर होगा |
है इतनी गुजारिश , सह लेने तक की हिम्मत दो |
....बेहतरीन प्रस्तुति...
चांदनी रात जो है तो,ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती |
तारों से कुछ देर और,ठहर जाने की मोहलत ले लो |
वाह! बेहतरीन,लाजबाब ,अनुपम प्रस्तुति.
संगीता जी की हलचल से आना बहुत सार्थक रहा.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
इंतजार है आपका.
वो चाहता है हमें , ये बात जो वो दावे से कहता है |
दो दर्द ऐसा , अहसासे बयाँ को महसूस करने दो |
बहुत खूबसूरत रचना है मीनाक्षी जी ! हर शेर मन को छू कर स्पंदित करता है ! बहुत सुन्दर !
अच्छे शब्द
है आग मुझमे भडकने की , कहाँ है इंकार हमें |
न दो हवा इतनी , चलो अब थोडा सँभलने दो |
वस्ल की रात है , राहत से बसर अब होने दो |
न रहे गिला कोई , धमकी का असर भी होने दो |
अच्छी रचना... क्या कहने!!!
kay kahane...bahut achchhi prastuti
bahut hi behtareen gazal vaki mja aa gyaa... thanks
जुदाई का है आलम तो , जुदाई का ही मंजर होगा
है इतनी गुजारिश , सह लेने तक की हिम्मत दो ..
बहुत खूब .. इस जुदाई को सहना आसान नहीं ...
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