वो एक पगली

Photo: वो एक पगली 

वो दिन भर बातें करती थी ... 
कुछ चुपके - चुपके कहती थी |
मेरी सांसों में भी अक्सर ...
उसकी भीनी सी खुशबु मिलती थी |
आने वाली हर आहट ...
वक़्त - बेवक्त जगा कर जाती थी |
वो दूर बहुत दूर रहकर भी 
अहसास जगा फिर जाती थी |
दिन रात वो ख्वाब सजाती थी ...
मुझसे कहने को घबराती थी |
वो जान से मुझको प्यारी थी ...
पर मुझसे वो कतराती थी |
न वक़्त कभी ऐसा आया ...
मैं उससे न फिर मिल पाया |
वो साया बनकर , मेरे साथ...
दिन - रात सफर में रहती थी | 
आँखे अब जब नम होती है ...
उसकी यादें संग होती है |
वो पगली मेरे ख्वाबों की ...
अक्सर शहजादी होती थी |

वो दिन - भर बातें करती थी ... 
कुछ चुपके - चुपके कहती थी |
मेरी सांसों में हरपल उसकी 
भीनी सी खुशबु रहती थी |
आने वाली ... हर आहट ...
उसकी याद दिलाती थी |
वो दुरी हमसे रखकर भी
अहसास जगाकर जाती थी |
दिन - रात वो ख्वाब सजाती थी ...
बस कहने से घबराती थी |
वो जान से मुझको प्यारी थी ...
पर मुझसे वो कतराती थी |
न वक़्त कभी ऐसा आया ...
मैं उससे न था  मिल पाया |
वो साया बनकर , साथ मेरे ...
दिन - रात सफर में रहती थी |
आँखे जब भी नम होती थी  ...
उसकी यादें संग होती थी  |
वो पगली मेरे ख्वाबों की ...
अक्सर शहजादी होती थी  |

9 टिप्‍पणियां:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

वाह! वाह! क्या बात है!!!

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

बहुत सुन्दर.

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर प्यारी रचना...
बेहतरीन...
:-)

Guzarish ने कहा…

बहुत खूब मिनाक्षी जी
http://guzarish6688.blogspot.in/2012/12/blog-post_31.html

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,प्यारी रचना,,,

RECENT POST : प्यार में दर्द है,

बेनामी ने कहा…

वो पगली मेरे ख्वाबों की ...
अक्सर शहजादी होती थी |

अति सुंदर

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

भीनी - भीनी सी बातें ........

विभूति" ने कहा…

भावो को संजोये रचना......

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

beautiful composition.