वो दिन - भर बातें करती थी ...
कुछ चुपके - चुपके कहती थी |
मेरी सांसों में हरपल उसकी
भीनी सी खुशबु रहती थी |
आने वाली ... हर आहट ...
उसकी याद दिलाती थी |
वो दुरी हमसे रखकर भी
अहसास जगाकर जाती थी |
दिन - रात वो ख्वाब सजाती थी ...
बस कहने से घबराती थी |
वो जान से मुझको प्यारी थी ...
पर मुझसे वो कतराती थी |
न वक़्त कभी ऐसा आया ...
मैं उससे न था मिल पाया |
वो साया बनकर , साथ मेरे ...
दिन - रात सफर में रहती थी |
आँखे जब भी नम होती थी ...
उसकी यादें संग होती थी |
वो पगली मेरे ख्वाबों की ...
अक्सर शहजादी होती थी |
9 टिप्पणियां:
वाह! वाह! क्या बात है!!!
बहुत सुन्दर.
बहुत सुन्दर प्यारी रचना...
बेहतरीन...
:-)
बहुत खूब मिनाक्षी जी
http://guzarish6688.blogspot.in/2012/12/blog-post_31.html
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,प्यारी रचना,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
वो पगली मेरे ख्वाबों की ...
अक्सर शहजादी होती थी |
अति सुंदर
भीनी - भीनी सी बातें ........
भावो को संजोये रचना......
beautiful composition.
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