हाइकु
*****
तू , मैं पहेली
संगी साथी सहेली
चल अकेली |
*********
जीवन प्यास
मन में उल्लहास
मन उदास |
**********
दिल में आग
नफरत का राग
कर दे राख |
**********
हुआ अँधेरा
फिर आया सवेरा
जीवन फेरा |
**********
गर अल्पज्ञ
अर्जित करो ज्ञान
बनो सर्वज्ञ |
**********
पुरे करेंगें
दिल के अरमान
कभी न कभी |
**********
अँधेरी रात
जुगनुओं की बात
सोया संसार |
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तू , मैं पहेली
संगी साथी सहेली
चल अकेली |
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जीवन प्यास
मन में उल्लहास
मन उदास |
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दिल में आग
नफरत का राग
कर दे राख |
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हुआ अँधेरा
फिर आया सवेरा
जीवन फेरा |
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गर अल्पज्ञ
अर्जित करो ज्ञान
बनो सर्वज्ञ |
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पुरे करेंगें
दिल के अरमान
कभी न कभी |
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अँधेरी रात
जुगनुओं की बात
सोया संसार |
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8 टिप्पणियां:
आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
कृपया पधारें
रोचक हाईकू, सुन्दर संप्रेषण
सुन्दर अभिव्यक्ति.!
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post मंत्री बनू मैं
LATEST POSTअनुभूति : विविधा ३
आपके पहले चार हाइकु भावानुभूति और शिल्प की दृष्टि से बहुत अच्छे हैं । साहित्य-संसार में भाषायी या क्षेत्रवादी संकीर्णता नहीं होती । महत्त्वपूर्ण होता है ,वह भाव जो आदमी को आदमी से जोड़ता है। दोहा चौपाई , ग़ज़ल हाइकु , ताँका कुछ भी हो । आप निरन्तर इसी तरह सृजनशील रहें । हार्दिक बधाई ! ttp://www.hindihaiku.net/ पर भी आपके हाइकु आमन्त्रित हैं।
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ rdkamboj@gmail.com
सम्पादक-http://www.laghukatha.com/
सह सम्पादक-http://issuu.com/hindichetna
सहयोगी सम्पादक डॉ हरदीप सन्धु जी के साथ)
http://www.hindihaiku.net/
http://trivenni.blogspot.in/
6 जून 2013 4:05 am
आपने जीवन, प्रेम सहेली, दिल, ज्ञान, और अँधेरी रात को हाइकु के माध्यम से खुबसूरत आयाम दिए हैं बधाई
वाह
bahut badhiya
meri nayi post pe aapka swaagat hai: http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2013/06/blog-post.html
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