सुनो ,
याद करो न
वो फुर्सत का पल
जब हम सिर्फ और सिर्फ
एक दुसरे के लिए जियें हों ,
जब हमारे बीच में
हम दोनों की बातें हुई हों ,
सच कहूँ ,
मैं तो सोच - सोचकर
थक गई पर ...
याद ही नहीं आया वो पल
जब हम एक दुसरे के लिए जिए हों
हाँ कई बार साथ बैठना हुआ
पर हर बार बीच में ...
तीसरे का ही जिक्र रहा
साथ रहकर भी ...
बस फासला ही बना रहा ,
अब तुम ही याद दिलाओ न
कौन सा था वो लम्हा ?
जब हमने साथ बैठकर
चाँद को निहारा था |
उसकी खूबसूरती में ही सही
चंद किस्से सुनकर
कहकशा लगा था |
सुनो ,
मुझे बताना जरुर ,
मुझे उस पल का इंतजार है
उस पल को महसूस करने की चाह है ,
कई बार पढ़ा है , मैंने किताबों में ,
चन्दनी रात में प्रियतम के साथ बैठकर
चाँद का दीदार सुकून देता है ,
याद रखोगे न तुम , देखो , भूल न जाना
मुझे उस पल को अहसास में है बसाना |
9 टिप्पणियां:
क्या बात है, बहुत सुंदर , बहुत सुंदर
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई
वाह....
बेहद खूबसूरत एहसास....
अनु
बहुत ही सुन्दर रचना।
सुनो ,
मुझे बताना जरुर ,
मुझे उस पल का इंतजार है
उस पल को महसूस करने की चाह है ,
कई बार पढ़ा है , मैंने किताबों में ,
चन्दनी रात में प्रीतम के साथ बैठकर
चाँद का दीदार सुकून देता है ,
याद रखोगे न तुम , देखो , भूल न जाना
मुझे उस पल को अहसास में है बसना |
बहुत खुबसूरत भाव लिए रचना
याद रखोगे न तुम ,देखो भूल न जाना
मुझे उस पल को अहसास में है बसाना,,,,
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,,
recent post : मैनें अपने कल को देखा,
क्यों वो गुज़रा वक्त फिर से आ पाएगा ???
बहुत ही सुन्दर ,प्यारा अहसास और बेहद सुन्दर रचना..
:-)
भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
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