एक अनबुझ पहेली


जवाब दिया तब , जब बात बेवजह की होने लगी  ,
चर्चा जब देश पर हुई तो फिर पन्ने पलटने लगी  |

बेफिक्र घरों में बैठ गुफ्तगू यहाँ - वहां की होती रही ,
सरहद में चली गोलियां तो माँ की कोख उजडने लगी  |

क्या कीमत है देश में किसी शहीद - ए - जवान की ,
कोई कैसे कुछ कहे तोपों की सलामी जो मिलने लगी |

बिगड़ रहा है माहौल या गुंजाईश  बची है सुधरने की ,
सब हो गये है भ्रष्ट या इंतजार की तारीखें बढ़ने लगी |

बात - बात पर बात तो अक्सर इबादत की होती रही
दिल जब जिद्द पर अडा आबरू औरत की लुटने लगी |


14 टिप्‍पणियां:

Minakshi Pant ने कहा…

बहुत - बहुत शुक्रिया @ यशोदा जी |

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

गहन अभिव्यक्ति ।

संध्या शर्मा ने कहा…

प्रभावी अभिव्यक्ति ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल मंगलवार (13-08-2013) को "टोपी रे टोपी तेरा रंग कैसा ..." (चर्चा मंच-अंकः1236) पर भी होगा!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा प्रभावी बेहतरीन गजल,,,

RECENT POST : जिन्दगी.

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर ,सटीक अभिव्यक्ति
latest post नेता उवाच !!!
latest post नेताजी सुनिए !!!

विभूति" ने कहा…

खुबसूरत प्रस्तुती......

दिल की आवाज़ ने कहा…

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

क्या कीमत है देश में किसी शहीद - ए - जवान की ,
कोई कैसे कुछ कहे तोपों की सलामी जो मिलने लगी ..
बस इसी को पूरा करके समाज अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहता है आज ... गहरी अभिव्यक्ति ...

Asha Joglekar ने कहा…

सच जवानों के शहादत की क्या कीमत रह गई है इस भ्रष्ट देश में ।
सोचने को मजबूर करती रचना .

Ramakant Singh ने कहा…

बिगड़ रहा है माहौल या गुंजाईश बची है सुधरने की ,
सब हो गये है भ्रष्ट या इंतजार की तारीखें बढ़ने लगी |

बात - बात पर बात तो अक्सर इबादत की होती रही
दिल जब जिद्द पर अडा आबरू औरत की लुटने लगी

एक सच जिसे झुठलाया नहीं जा सकता

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वर्तमान सच उजागर करती हुयी पंक्तियाँ।

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

बहुत खूब


स्‍वतंत्रता दि‍वस की शुभकामनाएँ

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति,सच्चाई बयां करती हुई।