बस एक ख्याल



तेरी रहमतों पर इतना यकीन करते हैं ,
देके ले -लेने की अदा को भी कर्म कहतें हैं |

तेरी मर्ज़ी के आगे  न कोई सवाल करते हैं ,
कसम से तुम्हें हम बेशुमार प्यार करते हैं |

ठहर जाएँ कहीं अभी अगर अनजान राह में ,
बे- खौफ हम सिर्फ तुझको पुकारा करते हैं |

तेरी दीवानगी बसी है इस कदर मेरी सांसों में ,
दुवाओं में खुदा से सिर्फ तेरी फरियाद करते हैं |

अब जो भी हो अंजाम देख लेंगें सनम मेरे ,
वफा की राह में चल सफ़र को अंजाम देते हैं |

जिंदगी




जिंदगी से शिकायत जो न कर पायेंगें ,
जिंदगी की इबादत न वो में मर जायेंगें |

साथ लेकर सफर में न कुछ आये थे ,
साथ लेकर सफर से न क्या जायेंगें |

पलपल जिनका जीना हुआ है मुहाल ,
वो खुद को जहां में फना कर जायेंगें |

जो डरते हैं आँखों में अश्क लाने से ,
मुस्कुराना भला कैसे सीख जायेंगें |

रात काली देख घर से निकलते नहीं ,
चाँद की चांदनी वो क्या चुरा जायेंगें |

खुलकर बयाँ न कर पाए दिल ए हकीकत ,
वो लफ़्ज़ों की कारीगरी क्या समझ जायेंगें |

वो सुबह जरुर आएगी ...



सुबह भी चली गई ,
शाम भी ढल गया ,
रात अपने आगोश में 
चाँद को लेकर निकल गया |

कल फिर आएगा ,
सूरज को साथ लायेगा ,
नये दिन के साथ हम भी 
नये सपनों में खो जायेंगें |

मन को नया बनायेंगें ,
बीते कल को भुलाएँगें ,
नये पल के स्वागत में 

हम फिर महफ़िल सजायेंगें |

तुम भी जरुर आना ,
वादों को संग में लाना ,
गुजरे कल को भुला 

वर्तमान में जीना सीख जायेगें |

एक अनबुझ पहेली


जवाब दिया तब , जब बात बेवजह की होने लगी  ,
चर्चा जब देश पर हुई तो फिर पन्ने पलटने लगी  |

बेफिक्र घरों में बैठ गुफ्तगू यहाँ - वहां की होती रही ,
सरहद में चली गोलियां तो माँ की कोख उजडने लगी  |

क्या कीमत है देश में किसी शहीद - ए - जवान की ,
कोई कैसे कुछ कहे तोपों की सलामी जो मिलने लगी |

बिगड़ रहा है माहौल या गुंजाईश  बची है सुधरने की ,
सब हो गये है भ्रष्ट या इंतजार की तारीखें बढ़ने लगी |

बात - बात पर बात तो अक्सर इबादत की होती रही
दिल जब जिद्द पर अडा आबरू औरत की लुटने लगी |